अरे यार टैक्स डेक्लेरेशन फ़ॉर्म कैसे भरना है? 


किसी के पास रेवेन्यू स्टैंप है क्या? 

मुझे भी कोई ट्रिक बताओ टैक्स बचाने की? 

किसी कंपनी में फ़ाइनेंशियल ईयर के अंत में कुछ ऐसी ही अफ़रा-तफ़री मचती है. टैक्स भरने की आख़िरी तारीख़, जो सर पर खड़ी होती है. ऐसे में कुछ लोग बिना सोचे समझे इनवेस्टमेंट भी कर बैठते हैं. 

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हालांकि अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न के रूल्स पर ध्यान दें, तो आप पाएंगे कि उसमें ऐसे 6 बहुत से रास्ते बताए गए हैं, जिनके ज़रिये आप आसानी से टैक्स बचा सकते हैं. आज हम आपको इनकम टैक्स बचाने की कुछ ऐसी ट्रिक्स बताएंगे, जिनकी मदद से आप अच्छी सेविंग्स भी कर पाएंगे और टैक्स भी बचा लेंगे. 

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1. अपनी सैलरी को Restructure करना


वैसे तो अधिकतर कंपनियां ऐसा नहीं करने देतीं, लेकिन अगर आपके कंपनी और एचआर डिपार्टमेंट के साथ अच्छे संबंध हैं, तो आप इसका फ़ायदा उठा सकते हैं. इसके लिए आपको अपने वेतन के कुछ घटकों का पुनर्गठन करना होगा. जैसे

-लंच अलाउंस की जगह आप फ़ूड कूपन लेना. इन पर 50 रुपये प्रति कूपन तक टैक्स फ़्री होता है. 

-अपनी सैलरी में Children Education Allowance, Hostel Expenditure Allowance, Uniform Expenses को भी शामिल करें. टैक्स बचाने के लिए आप इनके बिल्स का इस्तेमाल कर सकते हैं.

-High Prerequisite Taxation को कम करने के लिए ख़ुद की कार इस्तेमाल करने की जगह कंपनी की कैब का यूज़ करें.   

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2. Section 80C का इस्तेमाल ढंग से करें 


इनकम टैक्स एक्ट के सेक्‍शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपए की छूट ले सकते हैं. नियमों के मुताबिक, इनमें की गई इनवेस्टमेंट पर आपको टैक्स नहीं देना होता. इसमें शामिल हैं-

-Public Provident Fund 

-जीवन बीमा

-Equity Linked Savings Scheme

-बैंक या डाक घर में की गई पांच साल के लिए फ़िक्स्ड डिपॉज़िट, राष्ट्रीय बचत पत्र (NSC) और किसान विकास पत्र (KVP).

-बच्चों की पढ़ाई में ख़र्च की गई ट्यूशन फ़ी (दो बच्चों के लिए).

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3. 80C के अलावा भी विकल्प हैं 


अगर आप 1.5 लाख रुपये की लिमिट क्रॉस कर गए हैं, तो इसमें मौजूद दूसरे विकल्पों का लाभ भी उठा सकते हैं. जैसे-

Section 80D- इसके तहत आप 25,000 रुपये तक का Medical Insurance दिखा सकते हैं. इसमें आपकी पत्नी और बच्चे भी शामिल हैं. साथ ही आप अपने माता-पिता (65 वर्ष की आयु) के Medical Insurance, जो की 30,000 रुपये तक है, इसे भी दिखा सकते हैं. 

Section 80DDB- इसके तहत आप पर निर्भर किसी व्यक्ति को कोई दुर्लभ बीमारी है, उस केस में आपको 60 हज़ार रुपये तक की छूट मिलती है. सुपर सीनियर सिटिज़न के केस में ये 80 हज़ार हो जाता है. 

Section 80G- चैरिटी के लिए किए गए दान पर क्वालिफ़ॉइंग लिमिट के हिसाब से आप डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. 

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4. House Rent Allowance(HRA) 80GG 



नौकरीपेशा और बिज़नेसमैन लोग जो किराए के मकान में रहते हैं और उनकी कंपनी एचआरए नहीं काटती, तब भी आप एचआरए क्लेम कर सकते हैं. इन्हें Section 80GG के तहत टैक्स में छूट मिलती है. इतना मिलता है लाभ: 

– टोटल रेंट में से सालाना आमदनी का 10 फ़ीसदी घट जाएगा. 

-बिज़नेसमैन के केस में ये छूट अधिकतम 60, 000 रुपये तक होगी (5000/P.M). 

-Adjusted Gross Income का 25 प्रतिशत. 

नोट- इन तीनों में से जो भी कम हो, उसी पर छूट मिलेगी. 

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5. Home Loans


टैक्स बचाने के लिए होम लोन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. आप सेक्शन 80C के तहत होम लोन के सालाना मूलधन पर 1.5 लाख रुपये की रकम पर छूट पा सकते हैं. सीनियर सिटिज़न के केस में ये सीमा दो लाख रुपये तक है.

-इस पर लगने वाले ब्याज पर आप सेक्शन 24 के तहत 2 लाख रुपये तक की छूट ले सकते हैं.

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6. Leave Travel Allowance 


आप 4 साल में दो बार Leave Travel Allowance का इस्तेमाल टैक्स बचाने के लिए कर सकते हैं. इसके लिए आपको अपनी यात्रा पर किए गए ख़र्च के सारे बिल्स (केवल ट्रैवलिंग के) देने होंगे. टैक्स का डिडक्शन रूल्स के मुताबिक होगा. ये छूट आप सिर्फ़ भारत में की गई यात्रा पर ही ले सकते हैं. 

हैप्पी सेविंग्स !