अंतरिक्ष (Space) में ज़ीरो ग्रैविटी होती है. एस्ट्रोनॉट (Astronauts) वहां खड़े भी नहीं हो सकते. अब ऐसे में ये सवाल उठना लाज़मी है कि जब एस्ट्रोनॉट ज़मीन पर खड़े नहीं हो सकते और हर चीज़ ज़ीरो ग्रैविटी में तैरती है, तो फिर वो टॉयलेट (Toilet) कैसे इस्तेमाल करते होंगे?

rossaprimavera

ये भी पढ़ें: क्या आपको पता है कि अंतरिक्ष में यात्री डकार नहीं ले सकते हैं, जानना चाहते हो क्यों?

शुरुआत में नासा ने भी इस सवाल पर नहीं किया था गौर

दरअसल, 60 के दशक की शुरुआत में नासा इंसान को अंतरिक्ष में भेजने की कोशिशों में लगा था. उस वक़्त उसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि एस्ट्रोनॉट्स पेशाब और पॉटी कैसे करेंगे. अंतरिक्ष में जाने वाले पहले अमेरिकी एलन शेपर्ड को भी लॉन्चपैड पर अपनी पैंट में ही पेशाब करना पड़ा था. वजह ये थी कि उड़ान महज़ 15 मिनट की थी. इंजीनियरों को ये विचार नहीं आया कि एलन शेपर्ड को लॉन्च पैड पर इंतज़ार करना पड़ सकता है. इसके बाद नासा ने स्थिति को गंभीरता से लिया. 

cdn

हालांकि, बाद में भी जो व्यवस्था हुई, वो बस कामचलाऊ ही थी. अंतरिक्ष यात्रियों को पेशाब के लिए एक ख़ास तरह का पाउच इस्तेमाल करना पड़ा. ये बिल्कुल कॉन्डम की तरह थे. हालांकि, इन्हें महिलाओंं के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया था. साथ ही, ये लीक भी हो जाते थे. 1960 के दशक के जेमिनी मिशन पहली बार नासा ने अंतरिक्ष में मल त्याग की व्यवस्था की थी. एक ख़ास तरह के बैग अंतरिक्ष यात्रियों के पीछेे बांध दिये जाते थे. लेकिन, ये टॉयलेट भी सफ़ाई और यूरिन डिस्पोस्ज वगैरह के लिए ठीक नहीं था.

इसके बाद जब महिलाएं भी अंतरिक्ष में जाने लगी तो टॉयलेट की ख़ास व्यवस्था की ज़्यादा ज़रूरत महसूस हुई. लॉन्च के दौरान और स्पेसवॉक पर महिला अंतरिक्ष यात्रियों को पेशाब करने में परेशानी न हो इसके लिए नासा ने डिस्पोजेबल अवशोषण कंटेनर ट्रंक बनाया, जो कि पेशाब को अवशोषित करने के लिए डिज़ाइन किए गए बाइक शॉर्ट्स की तरह था. इसके बाद भी थोड़े-बहुत प्रयोग हुए, मगर सभी में दिक्कतें थी. ज़्यादातर एस्ट्रोनॉट्स के लिए मुश्किल पैदा करते थे.

businessinsider

अब एस्ट्रोनॉट्स के लिए पहले से बेहतर सिस्टम है

अंतरिक्ष यात्री टेक-ऑफ और लैंडिंग के दौरान वयस्क डायपर का उपयोग करते हैं. स्पेसवॉक के दौरान भी ऐसे डॉयपर का यूज़ करते हैं. इस्तेमाल के बाद वो इन्हें निकालकर स्टोरेज एरिया में डिस्पोज़ कर देते हैं. 

zmescience

वहीं, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के अंतरिक्ष यात्रियों के अब ख़ास तरह के टॉयलेट बनाए गए हैं. ये टॉयलेट पूरी तरह से हैंडहेल्ड और फुटहोल्ड है. इससे एस्ट्रोनॉट को बैठने या खड़े होने में दिक्कत नहीं होती है. बस उन्हें यूज़ करने लिए आराम से ढक्कर उठाकर बैठना होता है. फिर सारा काम वैक्यूम कर देता है. वो मल और पेशाब दोनों को खींचकर अलग-अलग टैंक में जमा कर देता है. साथ ही, पेशाब के लिए भी एक खास तरह का पाइप होता है, जो वैक्यूम पाइप की तरह होता है.

ये नये टॉयलेट पुरुष और महिला एस्ट्रोनॉट दोनों के लिए सुविधाजनक हैं. अगर दिमाग़ में ये सवाल आया हो कि पेशाब और मल को अलग-अलग टैंक में क्यों जमा किया जाता है, तो बता दें, पेशाब को रिसाइकिल किया जा सकता है. ऐसे करने से अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था हो जाती है.