सड़कों पर धूं-धूं करती महिंद्रा की बाइक और खेतों में महिंद्रा के ट्रैक्टर तो देखे ही होंगे, आज शायद ही कोई घर होगा जहां महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी का कोई प्रोडक्ट न हो. महिंद्रा एंड महिंद्रा एक बहुत ही सक्सेज़फ़ुल कंपनी है ये तो आप जानते हैं, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि इस कंपनी का नाम पहले महिंद्रा एंड महिंद्रा नहीं, बल्कि महिंद्रा एंड मोहम्मद था? अब जानना चाहते होगे कि आख़िर क्यों इस कंपनी को महिंद्रा एंड मोहम्म्द से महिंद्रा एंड महिंद्रा किया गया?
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दरअसल, इस कंपनी की शुरूआत के.सी. महिंद्रा, जे.सी. महिंद्रा और मलिक ग़ुलाम मोहम्मद ने लुधियाना में 2 अक्टूबर 1945 में की थी. तब ये कंपनी स्टील का बिज़नेस करती थी. ग़ुलाम मोहम्मद इस कंपनी के बहुत ही छोटे हिस्सेदार थे, लेकिन इनका भी नाम कंपनी के फ़ाउंडर में शामिल किया गया ताकि हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश लोगों तक पहुंचे. इसके बाद देश के बंटवारे का मुद्दा उठा और 1947 को देश आख़िरकार दो हिस्सों में बंट गया.
बंटवारे के बाद ग़ुलाम मोहम्मद ने कंपनी को नहीं, बल्कि पाकिस्तान को चुना और वो वहीं चले गए. उन्हें पाकिस्तान का पहला वित्त मंत्री चुना गया और फिर 1951 में मलिक ग़ुलाम मोहम्मद जब गर्वनर बने तो उनका राजनीतिक करियर और भी उठा. ग़ुलाम के पाकिस्तान चले जाने की वजह से कारोबार से वो अलग हो गए, जिसकी वजह से उन्होंने कंपनी से अपनी हिस्सेदारी वापस ले ली और तब कंपनी का नाम बदला गया और उसे महिंद्रा एंड मोहम्मद से महिंद्रा एंड महिंद्रा कर दिया गया.
ग़ुलाम मोहम्मद के पाकिस्तान चले जाने से कंपनी को झटका लगा था. इस बारे में कंपनी के पूर्व चेयरमैन केशब महिंद्रा ने बीबीसी से बात करते हुए बताया था.
मलिक ग़ुलाम मोहम्मद के पाकिस्तान चले जाने से महिंद्रा परिवार को बड़ा झटका लगा था और दुख भी हुआ था. वो सोच से बहुत सेक्यूलर थे फिर उन्होंने पाकिस्तान जाने का निर्णय क्यों लिया इस बात का ज़िक्र उन्होंने कभी नहीं किया.
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पाकिस्तान चले जाने के बाद भी ग़ुलाम मोहम्मद ने अपने संबंध महिंद्रा परिवार से बनाए रखे. 1955 में जब गणतंत्र दिवस के मौक़े पर ग़ुलाम भारत आए तो उन्होंने सबसे पहला फ़ोन केशब महिंद्रा की दादी को किया. केशब महिंद्रा ने पांच दशकों तक कंपनी की कमान संभाली थी.
आज कंपनी की बागडोर आनंद महिंद्रा के हाथों में है, जो कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं उन्होंने ग़ुलाम मोहम्मद के पाकिस्तान चले जाने के बारे में बताते हुए कहा,
जब ग़ुलाम मोहम्मद पाकिस्तान चले गए थे तब तक कंपनी की स्टेशनरी एम एंड एम के नाम से छप चुकी थी और पैसा बर्बाद न हो इसलिए दोनों महिंद्रा भाई उसी स्टेशनरी को यूज़ करना चाहते थे. इसी के चलते कंपनी का नाम महिंद्रा एंड महिंद्रा किया गया. ताकि इसका शॉर्ट नेम एम एंड एम ही रहे.
आनंद महिंद्रा बिज़नेस के साथ-साथ नए टैलेंट को भी अक्सर ट्विटर पर सराहते रहते हैं और अपने मोटिवेशनल ट्वीट के ज़रिए लोगों को मोटीवेट भी करते रहते हैं.