Success Story Of Justdial: किसी भी बड़े स्टार्टअप (Startup) की शुरुआत हमेशा छोटी जगह से ही होती है, बाकी बड़े ब्रांड्स की तरह Justdial भी इस बात का ग़वाह है. आज Justdial वो माध्यम है जिसके ज़रिए आप कहीं भी बैठकर कहीं का भी नम्बर ले सकते हैं. Google के सर्चिंग रिज़ल्ट पर भी Justdial पहला ऑप्शन होता है किसी भी जगह के फ़ोन नम्बर्स लेने का. भले ही आज ये एक सक्सेज़फ़ुल और बड़ा ब्रांड है, लेकिन इसकी शुरुआत बहुत छोटी हुई थी और ये भी नहीं पता था कि ये आगे चलकर इतना बड़ा ब्रांड बनेगा.

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आइए जानते हैं कि सिर्फ़ नम्बर प्रोवाइड कराने वाली ये कंपनी इतना बड़ा ब्रांड कैसे बनी?

Success Story Of Justdial

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इस कंपनी की शुरुआत मिडिल क्लास फ़ैमिली में जन्में वी. एस. एस. मणि (VSS Mani) ने की थी. इनका जन्म 1966 में जमशेदपुर में हुआ था. शुरुआती पढ़ाई जमशेदपुर में करने के बाद वी. एस. एस. मणि आगे की पढ़ाई करने दिल्ली गए, जहां उन्होंने CA में ग्रेजुएशन करना शुरू किया, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति कुछ ज़्यादा अच्छी नहीं होने के चलते उन्हें ग्रेजुएशन बीच में ही ड्रॉप करना पड़ा और उन्होंने Yellow Page नाम की कंपनी में सेल्स डिपार्टमेंट में जॉब कर लिया, जिसका काम ऑर्गेनाइजेशन, कॉलेज और ऑफ़िस के फ़ोन नम्बर्स और पते उपलब्ध कराना था.

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यहीं काम करते-करते वी एस एस मणि को लगा कि अगर यही डाटा लोगों को फ़ोन पर उपलब्ध कराया जाए तो बेहतर होगा तभी उन्होंने कंपनी को Ask Me नाम का स्टार्टअप शुरू करने का आइडिया दिया, जो साल 1989 में शुरू भी हुआ, लेकिन कंपनी ने इस स्टार्टअप पर न ज़्यादा ध्यान दिया और न ज़्यादा इंवेस्ट किया. इसके बाद, ही वी एस एस मणि ने नौकरी छोड़कर अपना स्टार्टअप शुरू करने का फ़ैसला किया.

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साल 1996 में उन्होंने गैरेज जैसी छोटी जगह से 50,000 रुपये में किराए के फ़र्नीचर और कंप्यूटर के साथ Justdial की शुरुआत की, तब सिर्फ़ 5 ही लोग काम करते थे. हालांकि, शुरुआती दिनों में अन्य स्टार्टअप की तरह Justdial को भी ज़्यादा पहचान नहीं मिली, लेकिन साल 2007 में जब Web-Based Version और Mobile App लॉन्च हुई थी Justdial पहचान में आया. इसकी टैगलाइन थी, Anything, Anytime, Anywhere. अपनी टैगलाइन की तरह ही Justdial का काम भी है. बिस्तर में हो या टॉयलेट में, होटल्स में हो या ऑफ़िस में, मंदिर में हो या मस्जिद में हर जगह सिर्फ़ एक क्लिक पर पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाती है.

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जैसे-जैसे कंपनी से लोगों ने जुड़ना शुरू किया, Justdial ने अपनी पॉलिसी में बदलाव लाए. फ़्री की जानकारी के अलावा कंपनी अपने प्लोटफ़ॉर्म पर लोगों और संस्थाओं के नम्बर डालने के लिए उनसे चार्ज करने लगी, जिससे कंपनी की फंडिंग शुरू हुई. इसके अलावा, यूज़र्स रिव्यूज़ के ज़रिए भी लोगों तक सही जानकारी पुहंचाते हैं. बस इसी तरह से साल 1996 में मात्र 50 हज़ार रुपये से शरू हुई कंपनी आज 2500 करोड़ रुपये की कंपनी बन गई है.