अकसर लोगों को कहते सुना होगा कि जितने मुंह उतनी बातें. ये कहावत जिसने भी कही है न, कसम से सौ प्रतिशत सही कही है. कई बार हम सुनी-सुनाई बातों में आकर उस चीज़ के बारे में अपनी धारणा बना लेते हैं. वो भी सही और ग़लत का पता लगाए बिना. कुछ ऐसा ही सनस्क्रीन के साथ भी है. अब तक हम सनस्क्रीन को लेकर बहुत कुछ ग़लत समझते आ रहे हैं.

इसके मिथ और फ़ैक्ट में कितना फ़र्क है, ख़ुद ही जान लो:

1. सनस्क्रीन हर समय लगाना ज़रुरी नहीं होता

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बहुत से लोगों का मानना है कि सनस्क्रीन की ज़रुरत तभी होती है, जब आप धूप में बाहर हो, लेकिन सच्चाई इससे बहुत अलग है. दरअसल, क्लाउडी मौसम में भी यूवी किरणें हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं. इसीलिए हर मौसम में सनस्क्रीन लगा कर रखना, स्किन की सुरक्षा करने का एक बेहतर उपाय है.

2. सनस्क्रीन शरीर को विटामिन-डी से बचाता है

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विटामिन-डी शरीर के लिए महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है और हर समय सनस्क्रीन लगाए रहने से हमारे शरीर को पूरी तरह से विटामिन-डी नहीं मिल पाता. वैज्ञानिकों का मानना है कि इंसान को हर दिन करीब 5 से 30 मिनट तक सूर्य के संपर्क में ज़रूर रहना चाहिए.

3. सनस्क्रीन लगाने से शारीरिक समस्याएं होती हैं

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Oxybenzone पर किए गए एक पुराने अध्यन में कहा गया था कि सनस्क्रीन लगाने से कई शारीरिक समास्याएं उत्पन्न होती हैं. वहीं 40 साल बाद की गई एक रिसर्च में इसे ग़लत करार दिया गया. इसीलिए आप बिना किसी टेंशन के सनस्क्रीन का यूज़ कर सकते हैं.

4. संवाली त्वचा को सनस्क्रीन की ज़रुरत नहीं होती

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कुछ लोगों का मानना है कि डार्क स्किन में मेलेनिन पाया जाता है, जो कि उन्हें यूवी रेज़ से बचाता है, जो कि सही भी है. पर इसका दूसरा पहलू ये भी है कि गहरी रंग की त्वचा वाले लोग अगर तेज़ धूप में बिना सनस्क्रीन के रहते हैं, तो उन्हें स्किन कैंसर होने का ख़तरा बना रहता है.

5. मेकअप से की जा सकती है चेहरे की सुरक्षा

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सूर्य की किरणों से बचने के लिए मेकअप थोड़ी बहुत राहत दे सकता है, लेकिन सनस्क्रीन जितनी सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकता.

6. चेहरे को कवर करने से बेहतर है सनस्क्रीन लगाना

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कई लोगों को लगता है कि चेहरे पर सनस्क्रीन लगा है, तो उसे कपड़े से ढंकने की क्या ज़रुरत है. असल में ऐसा बिल्कुल नहीं है, क्योंकि सनस्क्रीन से अच्छा चेहरे को कपड़े से ढंकना होता है.

7. सनस्क्रीन लगाने से बॉडी टैन नहीं होती

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सनस्क्रीन आपको UVA और UVB रेज़ से बचाता है, लेकिन ये आपकी बॉडी को पूरी तरह से टैन फ़्री नहीं रख सकता है, फिर चाहे आप दिन में कई बार सनस्क्रीन क्यों न लगाते हों. बॉडी को टैन से बचाने के लिए सनस्क्रीन लगाने के बाद आप लंबे कपड़ों के साथ हैट पहनें.

8. सभी सनस्क्रीन एक से होते हैं

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अगर आप भी यही सोचते हैं, तो बिल्कुल ग़लत सोच रहे हैं. Titanium Dioxide, Zinc Oxide और Ecamsule सक्रिय तत्व वाले सनस्क्रीन UVA और UVB रेज़ को फ़िल्टर करने का काम करते हैं. वहीं Avobenzone युक्त सनस्क्रीन कई तरह से सूर्य की किरणों को शरीर में पहुंचने से रोकता है. इसके अलावा स्पेक्ट्रम पूर्ण सनस्क्रीन बड़ी मात्रा में सूर्य से हमारी रक्षा करता है.

9. दिन में एक बार सनस्क्रीन लगाना काफ़ी है

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कई लोगों को लगता है कि दिन में एक बार सनस्क्रीन लगाने मात्र से सूर्य की घातक किरणों से बचा जा सकता है, लेकिन धूप में आने के थोड़ी देर बाद सनस्क्रीन का असर ख़त्म हो जाता है. इसीलिए हर 2 से 4 घंटे के अंतराल में सनस्क्रीन लगाते रहना चाहिए.

10. सनस्क्रीन वाटरप्रूफ़ है

कोई भी सनस्क्रीन वाटरप्रूफ़ नहीं होता है. ये सब उसे बेचने के लिए कहा जाता है.

11. सनस्क्रीन कभी ख़राब नहीं होता

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हक़ीकत में ऐसा नहीं होता. सनस्क्रीन के अंदर मौजूद Ingredients एक समय आने पर ख़ुद-ब-ख़ुद ख़राब हो जाते हैं.

अब समझ गए न कि सनस्क्रीन से जुड़े इन मिथ और फ़ैक्ट में कितना फ़र्क है, चलो इसे अपने दोस्तों को भी बता देना ताकि उनका भ्रम भी दूर हो जाए. 

Source : Medicalnewstoday