‘आगरा’ वो शहर जिसके बारे में सदियों से कई कहानियां सुनते आ रहे हैं. ऐसा ही एक विवादित क़िस्सा देश की शान कहे जाने वाले ताजमहल से भी जुड़ा हुआ है. बहुत से लोगों का कहना है कि ताजमहल से पहले वहां एक शिव मंदिर हुआ करता था. वहीं कुछ लोग इस बात से साफ़ इंकार करते नज़र आते हैं.
सवाल ये है कि ताजमहल या तेजोमहालय?
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प्रसिद्ध इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक के अनुसार, ताजमहल पहले ‘तेजोमहालय’ के रूप में जाना-जाता था. कहते हैं कि ताजमहल में ऐसे 700 चिन्ह पाये गये थे, जिससे ये साबित होता है कि उसे रिकंस्ट्रक्शन कराया गया है. इसकी दूसरी कहानी ये भी है कि शिवलिंगों में ‘तेज़-लिंग’ का ज़िक्र है और ताजमहल में ‘तेज़-लिंग’ काफ़ी प्रतिष्ठित था. यही वजह है कि उसका नाम ‘तेजोमहालय’ पड़ा था.
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इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि, ताजमहल के मुख्य गुंबद के किरीट पर बना कलश हिंदू मंदिर का प्रतीक है. रिपोर्ट के अनुसार, 1874 में प्रकाशित आर्किओलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के चौथे खंड में इस बात को दर्शाया गया है कि शाहजहां ने तेजोमहालय में तोड़ाफ़ोड़ा की थी. इसके साथ ही महल कोई मुस्लिम शब्द नहीं है, क्योंकि मुस्लिम देशों में आपको कोई भी कब्र या दरगाह ऐसी नहीं मिलेगी, जिसके नाम के साथ महल जोड़ा गया हो.
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मुमताज का पूरा नाम मुमता-उल-जमानी था, जिसे वजह उसका नाम मुमताज महल पड़ा. ये सारी बातें इतिहासकार के अनुसार साबित की गई हैं और अगर आपको इसके बारे में ज़्यादा जानकारी चाहिये, तो आप उनकी क़िताब पढ़ सकते हैं.