स्मार्टफ़ोन के आने के बाद से मोबाइल से मैसेज भेजने की आदत ने हमारी पूरी भाषा को ही बदल दिया है. हम लोग अपना काफ़ी समय मेसेजिंग में बिताते हैं, इसलिए हम जो अक्सर लिखते हैं, वही बोलने भी लगे हैं. OMG, LOL, Plz जैसे शब्द आजकल हम न सिर्फ़ टेक्सट मैसेज में लिखते हैं, बल्कि आम बातचीत में भी इस्तेमाल करने लगे हैं.
ऐसा ही एक शब्द है जो मेसेजिंग और फ़ोन के ज़माने से कहीं पहले से इस्तेमाल होता आ रहा है, लेकिन ज़्यादातर लोग इसका मतलब ही नहीं जानते हैं. ये शब्द कहां से आया? कैसे प्रचलित हुआ? इस बारे में शायद ही किसी को पता हो, लेकिन जाने-अनजाने ये शब्द अक्सर हमारी ज़बान पर आ जाता है.
‘OK’ आम बोलचाल की भाषा का एक शब्द है. क्या आप याद कर सकते हैं कि एक दिन में आप इस शब्द का इस्तेमाल कितनी बार करते हैं? चकरा गए न! ये शब्द है ही इतना आम है कि बात-बात पर हमारी ज़बान से फूट पड़ता है. फिर चाहे किसी को इसका मतलब पता हो या न हो. आइए ये जानने की कोशिश करते हैं कि हर किसी की ज़बान पर चढ़े रहने वाले इस शब्द को बोलने की शुरूआत आखिर कहां से हुई थी.

OK शब्द के शुरू होने की कई कहानियां हैं. कहा जाता है कि 1839 में लेखकों के बीच नए-नए Abbreviations का प्रचलन शुरू हुआ था. इन्हीं में से थे, OW ‘oll wright’ (all right) और OK ‘oll korrect’ (All Correct). हालांकि, इनमें OW तो बुरी तरह फ़्लॉप हो गया, लेकिन OK लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गया. ये शब्द, ‘oll korrect’ पहली बार व्याकरण पर एक व्यंग्य में छापा गया था.
लेकिन, Etymologist ऐलेन रीड के अनुसार, OK शब्द का इज़ाद यूरोप के गृहयुद्ध के दौरान हुआ होगा. ये बिस्किट का निकनेम था. टेलीग्राफ़ में इस्तेमाल होने वाले Open Key के रूप में भी इसका इस्तेमाल होता था.
OK की शुरूआत को लेकर एक और चर्चा है. कुछ लोगों का मानना है कि इंग्लैंड के आठवें राष्ट्रपति Martin Van Buren के चुनाव प्रचार के दौरान ये शब्द प्रचलित हुआ था. न्यूयॉर्क का Old Kinderhook उनका होमटाउन था और वो इसका नाम ‘OK’ कहकर लेते थे. ‘वोट फ़ॉर OK’ उनका नारा था.

वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि OK महज़ आध्यात्म की एक मुद्रा है. ये मुद्रा ‘सीखने’ का प्रतीक है. ज़्यादातर कलाकृतियों में भगवान बुद्ध को इसी मुद्रा में दिखाया गया है.