हमारे और आपके जैसा एक साधारण सा इंसान अगर पूरी ज़िंदगी पैसे बचाए तो भी उसका करोड़पति बनना इतना आसान नहीं है. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कम उम्र में ही करोड़पति बनकर रिटायरमेंट ले लेते हैं.

Millennial Revolution के क्रिस्टी शेन और ब्राइस लेउंग दो ऐसे ही शख़्स हैं जिन्होंने वर्ल्ड टूर के लिए 31 की उम्र में करोड़पति बनकर अपनी नौकरी छोड़ दी थी. रिटायरमेंट के बाद इन दोनों कंप्यूटर इंजीनियर्स ने वर्ल्ड टूर पर जाने का फ़ैसला किया.   

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बुढ़ापा चैन से कट जाए इसलिए हर इंसान ज़िंदगी भर एक-एक रुपया जोड़ता है. लेकिन क्रिस्टी शेन और ब्राइस लेउंग ने 31 साल की उम्र में रिटायरमेंट लेकर इस मुश्किल को जानने की कोशिश की है. 

अपनी किताब ‘Quit Like a Millionaire’ में उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के बाद हमें तीन मुख़्य बातों का डर था. कहीं सारे पैसे ख़त्म न हो जाएं, कम्युनिटी से दूर न हो जाएं और कहीं अपनी पहचान न खो दें. 

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जीवित रहने के लिए डर का होना बेहद ज़रूरी है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप अपने बेड में छुपकर रह जाएं और ज़िंदगी में रिस्क ही न लें. हर इंसान को अपने इस डर से बाहर निकलकर ऐसी ही छलांग लगानी चाहिए, लेकिन पूरी सुरक्षा के साथ.   

क्रिस्टी और ब्राइस ने कम उम्र में रिटायरमेंट के ‘Dark Side’ का कैसे सामना किया उन्होंने यहां यही बताया है- 

पैसे ख़त्म न हो जाएं इसलिए इन्वेस्टमेंट किया 

31 की उम्र में रिटायरमेंट के बाद क्रिस्टी और ब्राइस ने सबसे पहले कुछ पैसे ऐसी जगह इन्वेस्ट किये जहां से उन्हें हर महीने पैसे मिलते रहें. ताकि वो उस पैसे से अपनी ट्रिप की छोटी-मोटी चीजों पर ख़र्च कर सकें. इस दौरान उन्होंने कई कंपनियों के कम कीमत वाले शेयर भी ख़रीदे. ताकि उसमें जोखिम भी कम हो और रिटर्न भी अच्छा हो. हो सके तो आप Exchange-Traded Funds में पैसे इन्वेस्ट करें ताकि उससे आपको इंटरेस्ट और डिविडेंट दोनों मिल सकें. 

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इस दौरान आप कम इन्वेस्टमेंट में अपना ‘हेल्थ बीमा’ भी करा लें ताकि ट्रिप के दौरान किसी भी तरह की दुर्घटना के समय आपको समय पर कैश फ़्री इलाज़ मिल सके. 

रिटायरमेंट के तीन साल के दौरान पहले साल हमें थोड़ी बहुत परेशानियों का सामना पड़ा. क्योंकि उस दौरान हमने मार्किट में जो पैसा लगाया था उससे हमें हानि हुई. लेकिन दूसरे और तीसरे साल हमें हमें लाभ मिला. इस दौरान हमारी नेट वर्थ पहले से अधिक 300,000 डॉलर के करीब हो गयी थी. 

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रिटायरमेंट के बाद भी हम अपने दोस्तों के करीब रहे 

हम काम करने के दौरान अपने दोस्तों के बेहद करीब होते हैं, लेकिन रिटायरमेंट के बाद भी हम अपने दोस्तों बराबर मिलते रहे. इस दौरान हम अपने पुराने दोस्तों से भी मिले. उन दोस्तों से भी मिले जो हमारी तरह ही जल्दी रिटायरमेंट ले चुके थे.   

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रिटायरमेंट ने हमें असल पहचान दी 

जब रिटायरमेंट लिया तो हम दोनों 31 साल के थे. इस दौरान हमारे पास करने को बहुत कुछ था. हम हर वो काम कर सकते थे जो हम करना चाहते थे. इस दौरान हमने अपनी हर चाह को पूरा करने का काम किया. चर्च में वॉलिंटियर्स का काम किया, एनजीओ के साथ काम किया, पार्ट टाइम काम भी किया. 

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ब्राइस कहते हैं इस दौरान हमने अगर अपनी एक पहचान खोई तो हमें एक नई पहचान भी मिली. ऐसा नहीं है कि हमारे पास ढेर सारा पैसा था इसलिए हमने काम उम्र में ही रिटायरमेंट ले लिया. हमने सोच समझकर और ख़ुद को वित्तीय तौर पर मज़बूत पाने के बाद ही ये निर्णय लिया. 

अगर आप भी अपनी नौकरी को छोड़कर वर्ल्ड ट्रिप का सपना देख रहे हैं तो सबसे पहले ख़ुद को वित्तीय तौर पर मज़बूत बनाएं. तब जाकर इस बारे में सोचें.