सोचिए कि आप विदेश घूमने गए हैं. आप यहां-वहां घूमकर मस्त सेल्फ़ी ले रहे हैं. इतने में अचानक आपको पॉटी लग आए. अब पॉटी तो मासूम है, कभी भी आ सकती. ऐसे में आप तुरंत भागकर पब्लिक टॉयलेट में चले जाते हैं. लेकिन तब क्या होगा, जब आपको टॉयलेट यूज़ कैसे करना है यही न पता हो. जी हां, ऐसा हो सकता है. क्योंकि बहुत से देशों में अलग-अलग टाइप के अतरंगी सिस्टम हैं. 

हम आपका भला चाहते हैं इसलिए सोचे कि आपको ऐसी परिस्थिति में गुड़-गोबर करने से बचा लें. बस इसीलिए आपको कुछ देशों के बाथरूम सिस्टम की जानकारी देने जा रहे हैं. 

1. कोरिया के पब्लिक टॉयलेट में एक स्पेशल साबुन होता है. 

ज़्यादातर पब्लिक टॉयलेट में साबुन के डिस्पेंसर होते हैं, लेकिन कोरिया इस मामले में अनोखा है. यहां न तो आपको डिस्पेंसर मिलेगा और न ही साबुन कहीं रखा हुआ होगा. इसके बजाय साबुन एक पोल से जुड़ा होगा. अग़र आप इसका इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आपको अपने हाथों को इस पर रगड़ना होगा. 

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2. जापान के पब्लिक टॉयलेट्स में आपको एक इमरजेंसी बटन मिल सकता है.

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जापान में कुछ पब्लिक टॉयलेट्स में एक बेहद अच्छी सुविधा दी गई है. हालांकि, बाहरी लोग इसे समझ नहीं पाते. लोग इस इमेरजेंसी बटन को फ़्लश बटन समझकर दबा देते हैं. मग़र आपको बता दें, ये एक सुरक्षा अलॉर्म होता है. बुज़ुर्ग लोगों के लिए तो ये बेहद उपयोगी है, क्योंकि अग़र उन्हें कभी कोई परेशानी होती है, तो वो इसे दबाकर मदद बुला सकते हैं. 

3. जापान में साउंड प्रिंसेस नाम का एक अनोखा सिस्टम है.

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कुछ जापानी महिलाएं पब्लिक टॉयलेट यूज़ करते वक़्त इस बात को लेकर असहज महसूस करती हैं कि कोई दूसरा उनकी आवाज़ सुन रहा होगा. ऐसे में महिलाओं को इस तरह की परेशानी न हो, इसके लिए इंजीनियरों ने एक उपकरण बना है, जिसे साउंड प्रिंसेस कहा जाता है. इसमें से एक साउंड निकलता है, जो बिल्कुल फ़्लश करने जैसा होता है. हालांकि, फ़्लश होता नहीं. इससे पानी की बर्बादी भी नहीं होती और अनचाही आवाज़ भी फ़्लश के शोर में छिप जाती है.  

4. चीन में कई जगहों पर अभी भी स्क्वाट टॉयलेट हैं.

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चीन के कई इलाकों में पारंपरिक स्क्वाट शौचालय हैं, खासकर पब्लिक टॉयलेट. हालांकि, यात्रियों के पास कुछ जगहों पर बैठने का भी विकल्प होता है. मग़र जिन लोगों को इस तरह के टॉयलेट यूज़ करने की आदत नहीं है, उन्हें काफ़ी परेशानी होती है. ट्रेन में तो और आफ़त हो जाती है. बाकी हम भारतीयों के इसमें कोई परेशानी नहीं होगी. अपने लिए तो ये घर की बात जैसा है. 

5. कंबोडिया के टॉयलेट्स में हूज़ स्प्रे होता है.

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पहले तो जान लीजिए कि कंबोडिया में पब्लिट टॉयलेट बहुत कम है. दूसरा आपको टॉयलेट पेपर यूज़ करने के बाद उसे एक अलग डेस्टिबिन में डालना होगा, क्योंकि वहां का सीवर सिस्टम इसे झेल नहीं पाएगा. बाकी टॉयलेट में हूज़ स्प्रे से ख़ुद को साफ़ करने के बाद आपको अपने किए-कराए पर भी उसी का इस्तेमाल करना होगा. जी हां, फ़्लश की सुविधा नहीं है. 

6. यू.एस.ए, कनाडा, जापान और थाईलैंड में सभी जेंडर के टॉयलेट मिलेंगे.

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इन देशों में एक ही टॉयलेट को सभी जेंडर वाले यूज़ कर सकते हैं. दिव्यांग, बुज़ुर्ग और ट्रांसजेंडर के लिए भी सेम ही टॉयलेट होता है. ये उन पेरेंट्स के लिए काफ़ी अच्छा रहता है, जिनको अपने छोटे बच्चों की मदद के लिए बाथरूम में जाना पड़ता है. 

7. अंटार्कटिका में लोग पोर्टेबल टॉयलेट का यूज़ करते हैं.

अंटार्कटिका में शौचालयों के लिए विशेष तंबू लगे हैं. ये टॉयलेट पोर्टेबल हैं. आप इनका इस्तेमाल करें फिर अपने वेस्ट को प्लास्टिक बैग में लपेटकर सील कर दें. वैसे जापान में भी पोर्टेबल टॉयलेट हैं. दिलचस्प ये है कि वहां आपके बटन दबाते ही सारा वेस्ट ख़ुद ही एक बैग में सील हो जाएगा. फिर आप उसे कूड़े में डिपॉसिट करा दें. 

8. इंडोनेशिया में उल्टे हाथ का यूज़ टॉयलेट और सीधा का इस्तेमाल खाने के लिए किया जाता है. 

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इंडोनेशिया में अग़र आप अपने उल्टे हाथ से किसी को सामान देंगे, तो वो बुरा भी मान सकता है. क्योंकि वहां ये माना जाता है कि उल्टा हाथ टॉयलेट में इस्तेमाल होता है.