आज तालिबानी आतंकवाद के पंजे में अफ़गानिस्तान फंस गया है. अख़बारोंं की हर हेडलाइन अफ़गानियोंं के ख़ून से छपी नज़र आती है. हर तरफ़ ज़ख्म, चीखें और हैवानियत का नंगा नाच है. इन सबके बीच अफ़गानिस्तान की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान छिप गई है. हम भूल चुके हैं कि जिस देश को आतंकवाद और दुनिया की बेरूखी महज़ कुछ सालों में ही ध्वस्त करने पर आमादा है, उसे बनने में हज़ारों साल लगे हैं.

ऐसे में आज हम अफ़गानिस्तान के 10 सबसे ख़ूबसूरत शहरों और उनके इतिहास से आपको रू-ब-रू कराने जा रहे हैं. ताकि, आप अफ़गान भूमि के सदियों पुराने इतिहास से जुड़ सकें.

1. काबुल

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काबुल, अफ़गानिस्तान की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है. इसका इतिहास 3,500 सालों से भी पुराना है. शहर के कुछ आकर्षक स्थलों में अब्दुल रहमान मस्जिद, अफगान राष्ट्रीय संग्रहालय और बाबर के बगीचे के नाम से मशहूर ऐतिहासिक पार्क हैं. रहमान मस्जिद सबसे नयी है, जिसका उद्घाटन 2012 में हुआ था. हालांकि, इसे पारंपरिक इस्लामी स्थापत्य शैली में 14 गुंबदों और दो मीनारों के साथ बनाया गया है.  

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2. बल्ख

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इसे दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक माना जाता है. उत्तरी अफगानिस्तान में स्थित बल्ख को अरबों ने ‘शहरों की मां’ नाम दिया था. अरब आक्रमण से पहले बल्ख  बौद्ध संस्कृति से काफी प्रभावित था. शहर के प्राचीन खंडहरों में बौद्ध और पुरानी एशियाई संस्कृति की झलक साफ़ देखी जा सकती है. यहां की ग्रीन मस्जिद और नाइन डोम्स मस्जिद के खंडहर भी देखने लायक हैं, जिन्हें विश्व स्मारकों की सूची में एक लुप्तप्राय सांस्कृतिक स्थल के रूप में जोड़ा गया है.

3. कंधार

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सिकंदर ने 329 ईसा पूर्व में अलेक्जेंड्रिया अरकोसिया शहर की स्थापना की, जिसे आज कंधार के नाम से जाना जाता है. ये अफ़गानिस्तान का दूसरा सबसे शहर है. यहां दुनिया के सबसे पुराने ज्ञात मानव समुदायों में से एक के इतिहास और संस्कृति के निशान मिले हैं. कंधार में देखने के लिए सबसे दिलचस्प जगहों में शुक्रवार की मस्जिद है, जो एक पवित्र इस्लामी पूजा स्थल है. इसके महत्व का अंदाज़ा इस बात से लगा सकते हैं कि कुछ लोग इसे ‘अफगानिस्तान का दिल’ भी कहते हैं.

4. मज़ार-ए-शरीफ़

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कहते हैं कि इस शहर का अस्तित्व एक सपने के कारण हैं. इसके आधार पर ही एक दरगाह का निर्माण हुआ और फिर धीरे-धीरे आसपास पूरा शहर बस गया. पर्यटक इस शहर को ब्लू मस्जिद सिटी के रूप में ज़्यादा जानते हैं, जहां हज़रत अली की मज़ार है. साथ ही, इस शहर में कई ऐतिहासिक सभ्यताओं का बसेरा रहा है. जो इसके इतिहास और संस्कृति को एक ख़ास पहचान देता है.

5. हेरात

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हेरात, पश्चिमी अफगानिस्तान का एक प्राचीन शहर है. यहां कई खंडहर और ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल हैं. हेरात गढ़ या रानी गोहरशाद का मकबरा भी इनमें से एक है.  शुक्रवार की मस्जिद, जिसे 1,200 ईस्वी में बनाना शुरू किया गया था, उसे बनने में एक लंबा अरसा लगा था. ग्रेट मस्जिद परिसर में कई नए कार्य हुए हैं, लेकिन आज भी कुछ मूल सजावट बरकरार है. मस्जिद के प्रवेश द्वार के पीछे ही एक शिल्पकार की दुकान है, जहां आप कारीगरों को काम करते हुए, टाइलें काटते हुए, मोज़ेक का काम करते हुए और नए टुकड़े बिछाते हुए देख सकते हैं. 

6. बामियान

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मध्य अफ़ग़ानिस्तान में स्थित बामियान उन आखिरी शहरों में से एक है, जहां बौद्धों का विस्तार हुआ. बामियान पर तुर्की, ग्रीक, फारसी, भारतीय और चीनी संस्कृतियों का प्रभाव नज़र आता है. यहां बुद्ध की कई विशाल मूर्तियां भी थींं, जिन्हें 2001 में नष्ट कर दिया गया. बाद में, यहां और भी गुफ़ाएं और 5 वीं और 9वीं शताब्दी की वॉल पेटिंग की खोज की गईं. साथ ही, एक अन्य विशाल मूर्ति भी मिली. इस मूर्ति का नाम रिक्लाइनिंग बुद्धा है.

7. बगराम

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बगराम, राजधानी काबुल के उत्तर में स्थित एक छोटा लेकिन प्राचीन शहर है. ये पहले भारत से आने वाले व्यापारियों के लिए सिल्क रोड का एक महत्वपूर्ण मार्ग था. इस शहर पर फ़ारसी, ग्रीक और अरब प्रभाव रहा है. यही वजह है कि इस शहर की कला पर कई संस्कृतियों का मिश्रित प्रभाव पड़ा है. 

8. सामंगन

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उत्तरी अफगानिस्तान में स्थित समांगन, मध्यकाल में कारवां का पड़ाव स्थल था. ये उन क्षेत्रों का भी हिस्सा था, जहां चौथी और पांचवीं शताब्दी के आसपास बौद्ध विस्तार हुआ था. शहर के पास एक पहाड़ी पर तख्त-ए-रुस्तम नामक स्थान बौद्ध शैली के मिश्रण के साथ अवध की वास्तुकला का एक मुख्य उदाहरण है. एक प्राचीन पारंपरिक गतिविधि के तौर पर यहां हर गुरुवार को एक साप्ताहिक बाज़ार लगता है. यहां संगीत वाद्ययंत्रों के विशेषज्ञ शिल्पकाल अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं. 

9. जलालाबाद

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देश के पूर्वी हिस्से में जलालाबाद को अफ़गानिस्तान के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक माना जाता है. आसपास हरियाला और पानी के सुविधा ने इसे फलने-फूलने का काफ़ी अवसर दिया. ये आधुनिक अफगानिस्तान के संस्थापक अहमद शाह दुर्रानी के लिए एक चौकी थी, जिन्होंने भारत में अपने सैन्य अभियानों के दौरान शहर का इस्तेमाल किया था. राजा अमानुल्लाह खान के मकबरे से लेकर मस्जिदों और नंगरहार विश्वविद्यालय तक, जलालाबाद में वास्तुकला सुंदर उदाहरण हैं. 

10. फैजाबाद

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खराब रास्तों के कारण अफगानिस्तान के पूर्वोत्तर भाग में स्थित फैजाबाद तक पहुंचना हमेशा से मुश्किल रहा है. यही वजह है कि इसकी स्थानीय संस्कृति बहुत हद तक सुरक्षित रह पाई. आज तक फैजाबाद में दो बाजार अभी भी काम करते हैं जहां वे सूती कपड़े और कटलरी जैसी विविध वस्तुओं और चाय, चीनी और नमक जैसे प्रावधानों का व्यापार करते हैं. ऐतिहासिक वास्तुकला का एक हिस्सा खंडहर में है, लेकिन अन्य किले, मस्जिद और मंदिर अभी भी बरकरार हैं. जो इस क्षेत्र के इतिहास को बताते हैं.

अब ये देखने वाला होगा कि 20 साल बाद वापस अफ़गानिस्तान की सत्ता पर काबिज़ होता तालिबान इन शहरों की सांंस्कृितक पहचान के साथ कैसा व्यवहार करता है.