अंतरिक्ष में जाना हर किसी का सपना होता है. उन लोगों का भी जो पड़ोस की दुकान से सूजी तक लेने नहीं जाते. मगर अंतरिक्ष में जाना हलवा नहीं है. काफ़ी ट्रेनिंग लेनी पड़ती है. साथ ही, वहां पहुंचने के बाद कई तरह की मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है. 

इसके पीछे वजह है कि अंतरिक्ष में जाने के बाद एक इंसान के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं, जिनकी वजह से आपके शरीर को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. आज हम आपको कुछ ऐसे ही बदलावों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो किसी इंसान को अंतरिक्ष में जाने पर होते हैं. 

1. आंखें कमज़ोर हो जाती हैं.

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ज़्यादा वक़्त तक अंतरिक्ष में रहने वाले एस्ट्रोनॉट्स ने विज़्युअल इम्पेरमेंट इंट्राकैनायल प्रेशर सिंड्रोम (VIIP) को रिपोर्ट किया है. इसमें आंखों की रौशनी नाटकीय रूप से कम हो जाती है. नासा ने इस विषय पर शोध किया है, लेकिन अभी तक इसका कोई ख़ास कारण पता नहीं चल पाया है.

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2. लंबाई बढ़ जाती है.

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लंबाई बढ़ानी है, तो बॉस्केटबॉल कोट नहीं, स्पेस पहुंचो. अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल नहीं होने के कारण इंसान की कुछ इंच तक लंबाई बढ़ जाती है.

3. रेडिएशन आपके स्वास्थ्य पर डाल सकता है बुरा प्रभाव

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पृथ्वी पर पर्यावरण होता है, जिससे हम अंतरिक्ष से आने वाले रेडिएशन से बच जाते हैं. लेकिन स्पेस में इंसान के शरीर पर रेडिएशन पड़ता है जिससे स्वास्थ्य प्रभावित होता है. नासा इस पर रिसर्च भी कर रहा है, ताकि इस रेडिएशन के असर को कम किया जा सके. 

4. नाखून गिर सकते हैं. 

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22 अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा के बाद अपने नाखूनों गिरने की जानकारी दी. रिसर्च में पाया गया कि उनके दस्ताने की एक अजीबोगरीब डिज़ाइन नाखूनों पर दबाव डालती है, जिससे वे गिर जाते हैं. 

5. आपका अंदरुनी कान ऐक्सिलेरोमीटर के तौर पर काम करना बंद कर देगा.

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इंसान का अंदरूनी कान एक एक्सेलेरोमीटर के रूप में काम करता है. जब हम गति में बदलाव का अनुभव करते हैं, तो ये हमें बीमार होने से बचाता है. जब इंसान अंतरिक्ष में होता है तो कहानी अलग होती है. हां ये छोटी डिवाइस टूट जाती है और अंतरिक्ष स्टेशन में पहुंचने के एक या 2 दिन तक अंतरिक्ष यात्रियों को मोशन सिकनेस का सामना करना पड़ता है.

6. शरीर में तरल पदार्थ की समस्या होगी.

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गुरुत्वाकर्षण की कमी मानव शरीर के अंदर तरल पदार्थ के प्रवाह के तरीके में एक अजीबोगरीब बदलाव का कारण बनती है. मसलन, पृथ्वी पर तरल पदार्थ का प्रवाह शरीर के ऊपरी भाग से नीचे की ओर होता है, लेकिन अंतरिक्ष में इसका उलटा होता है. इसी कारण जब कुछ अंतरिक्ष यात्री वापस आते हैं तो वे ज्यादा गोल लगते हैं.

7. दिल सिकुड़ जाता है.

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अंतरिक्ष में दिल भी बहुत से परिवर्तनों का अनुभव करता है. मसलन, ये कम रक्त पंप करता है और इसका आकार ज़्यादा गोलाकार हो जाता है. 

8. मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं.

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अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में रहते हुए हर समय एक्सरसाइज़ करते रहनी पड़ती है. स्पेस के काफी लंबे दौरे के बाद उनकी मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर हो सकती हैं. इसे एट्रोफ़ी कहते हैं. यही वजह है कि एस्ट्रोनॉट्स को हर रोज़ एक्सरसाइज़ करने के लिए प्रेरित किया जाता है.