भारतीय सभ्यता पांच हज़ार वर्षों से भी ज़्यादा पुरानी है. इस बात के गवाह ऐसे तमाम ऐतिहासिक स्थल हैं, जो अब खंडहरों में तब्दील हो गए हैं. इन खंडहरों को देखने देश-दुनिया से तमाम ऐसे लोग आते हैं, जिन्हें देश के समृद्ध इतिहास को जानने का शौक़ होता है.

कुछ ऐसे ही ऐतिहासिक स्थलों को के बारे में हम बताएंगे, जहां जाकर आप भारतीय सभ्यताओं के इतिहास से रूबरू होंगे.

1. धौलावीरा

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धौलावीरा गुजरात के ‘कच्छ के रण’ में बसे द्वीप ‘खडीर’ में स्थित है. धौलावीरा हड़प्पा सभ्यता के समकालीन नगर था. नगर की बनावट भी लोथल और मोहनजोदड़ो की तरह ही है. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि संभवतः ये गांव भी सिन्धु नदी के माध्यम से हड़प्पा और मोहनजोदड़ो से जुड़ा होगा, लेकिन आज भी पुरातत्वविद किसी निष्कर्ष पर नहीं पंहुच पाए हैं.

धौलावीरा में पुरातत्वविदों को एक 5000 वर्ष पुरानी बावली मिली है जो मोहनजोदाड़ो के स्नानागार से लगभग तीन गुना बड़ी है.

भुज से यहां की दूरी 218 किलोमीटर है, जिसे लगभग 5 से 6 घंटें में तय किया जा सकता है.

2. लोथल

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लोथल गुजरात में है. बंटवारे के बाद सिन्धु घाटी सभ्यता के अधिकांश हिस्से पकिस्तान में चले गए. भारत के पास बचे लोथल और धौलावीरा जिनका सम्बन्ध हड़प्पा संस्कृति से बताया जाता है. संरचना के हिसाब से लोथल मोहनजोदड़ो का छोटा रूप है. लोथल धोलका के पास बसे छोटे से गांव, सरगवाला के पास पड़ता है. लोथल अहमदाबाद से 76 किलोमीटर दूर है. ये दूरी महज़ डेढ़ घंटे में तय की जा सकती है.

3. बनवाली

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बनवाली, हरियाणा के फ़तेहाबाद शहर से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां दूर-दूर तक कोई आबादी नहीं रहती है लेकिन इतिहास के विद्यार्थी और पुरातत्वविदों का यहां हमेशा आना-जाना लगा रहता है.

पुरातत्वविद इसे भी हड़प्पा कालीन सभ्यता के समकक्ष मानते हैं.

कुछ लोग यह भी कहते हैं कि यह गांव सरस्वती नदी के किनारे बसा था, जो आज विलुप्त हो गयी है.

4. आलमगीरपुर

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आलमगीरपुर उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हिंडन नदी के किनारे बसा हुआ है. हिंडन यमुना की सहायक नदी है.

हड़प्पन सभ्यता के समकालीन इस गांव की खोज 1958 में यज्ञ दत्त शर्मा ने किया था. गंगा और यमुना के किनारे बसे सभी नगरों में यह पहला नगर है, जहां हड़प्पन कालीन संस्कृति के अवशेष मिले हैं. यहां मिट्टी के बर्तन, मनका धातु के गहने और पिंड मिले हैं, जो साबित करते हैं ये नगर भी हड़प्पा संस्कृति का हिस्सा रहा होगा. इन सबके बाद भी यह सबसे उपेक्षित भारतीय धरोहर है.

5. दैमाबाद

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महाराष्ट्र राज्य के जिले, अहमद नगर में बसा दैमाबाद गोदावरी की सहायक नदी ‘प्रवर’ के किनारे बसा है. इस जगह को B. P. Bopardikar ने 1958 में खोजा था. यहां मिलने वाले अवशेषों से पता चलता है कि यहां के लोगों का संपर्क हड़प्पा के लोगों के साथ ज़रूर रहा होगा.

महाभारत कालीन कुछ अवशेष

6. रोहतास

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रोहतास बिहार राज्य में पड़ता है. पटना से रोहतास की दूरी 146 किलोमीटर है. रोहतास का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है. सत्यवादी राजा हरिशचन्द्र के पुत्र, रोहिताश्व द्वारा बसाये ‘रोहतासगढ़’ के नाम पर, इस जिले का नाम रोहतास पड़ा. यहां के लोग मानते हैं कि रोहतास का किला, राजा हरिश्चंद्र के बेटे रोहिताश्व ने बसाया था.

7. हस्तिनापुर

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हस्तिनापुर, उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास बना एक प्राचीन नगर है. ऐसा कहा जाता है कि हस्तिनापुर कौरवों और पांडवों की राजधानी थी. अभी भी यहां महाभारत काल से जुड़े हुए कुछ अवशेष मौजूद हैं. यहां गंगा नदी के किनारे बहुत से टीले देखे जा सकते हैं, जिन्हें इतिहासकारों ने महाभारत कालीन माना है.

बुद्ध कालीन भारत 

8. नालंदा

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नालंदा बिहार राज्य का हिस्सा है. नालंदा विश्व का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय था. पांचवी शताब्दी में स्थापित इस विश्वविद्यालय में दुनिया भर के दस हज़ार से ज़्यादा विद्यार्थी रहते और पढ़ाई करते थे.

नालंदा विश्वविद्यालय का पुस्तकालय बहुत समृद्ध था, जिसकी सारी किताबों को तुर्क सेनापति बख़्तियार ख़िलजी ने जला दिया था. अफ़गानी आक्रांता बख़्तियार खिलजी ने इसे, बारहवीं शताब्दी में तहस-नहस कर दिया. इस विश्वविद्यालय के अवशेष अब तक बचे हुए हैं. दुनिया भर के शोधार्थी और पर्यटक नालंदा विश्वविद्यालय देखने आते हैं.

नालंदा पटना से महज 90 किलोमीटर की दूरी पर है.

9. कुशीनगर

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कुशीनगर उत्तर प्रदेश का एक जिला है. भगवान बुद्ध ने यहीं अपना शरीर त्यागा था. कुशीनगर में बहुत सारे बुद्ध कालीन अवशेष हैं. यहां दुनिया भर से पर्यटक आते रहते हैं.

अगर आपको भारत के प्राचीन इतिहास को जानने में दिलचस्पी है, तो यहां जा कर आप अपने इतिहास से जुड़ सकते हैं.