Things To Do In Lucknow Under Rs 1000: देखिये जनाब, किसी शहर को समझना है, तो बस उसे घूमिए मत, बल्कि महसूस करिए. क्योंकि, हर शहर ज़िंदा होता है, और ज़िंदगियां तब्दीली पंसद. लखनऊ का मिज़ाज भी कुछ ऐसा ही है. यहां की इमारतों, खान-पान, लहज़े में नवाबियत भी है और शहर वासियों के रहन-सहन में बदलते वक़्त की छाप भी नज़र आती है. 

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शहर छोटा है, मगर इतिहास बहुत लंबा. लखनऊ, मेट्रो पर भले ही सवार हो चुका हो, मगर तांगे से अभी पूरी तरह उतरा नहीं है. अलग-अलग वक़्त यहां एक साथ नज़र आ जाते हैं. अब सवाल ये है कि इस मिज़ाज के शहर को कोई एक दिन में कैसे घूम सकता है? 

घबराएं नहीं, इस काम में हम आपकी मदद करेंगे. हम आपको लखनऊ न सिर्फ़ एक दिन में घुमांएंगे, बल्कि 1000 रुपये के अंदर इस शहर के हर ज़रूरी कोने तक पहुंचाएंगे. तो चलिए घूमते हैं लखनऊ. (Things To Do In Lucknow Under Rs 1000)

अब बात 1000 रुपये के अंदर घूमने की है, तो हम सुबह-सुबह आपको एयरपोर्ट लेने तो नहीं आएंगे. ऐसा करिए आप चारबाग रेलवे स्टेशन पर पहुंचिए. आ गए? जी, आदाब! मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं. (Things To Do In Lucknow Under Rs 1000)

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सुबह-सुबह का वक़्त है, तो खाली मुस्कियाने से काम तो चलेगा नहीं, चुस्कियाने की तलब भी होगी. तो चलिए, यहां से सीधा हज़रतगंज में शर्मा चाय वाले की दुकान पर चलते हैं. टैक्सी या फिर मेट्रो लेकर आप यहां तक पहुंच सकते हैं. वैसे टैक्सी सीधा यहां तक पहुंचा देगी.

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लखनऊ में शर्मा जी तो अब चाय की पहचान ही बन चुके हैं. इनके गोल समोसे और बन-मक्खन का तो कोई जवाब ही नहीं है. आप यहां एकदम चौकस नाश्ता महज़ 100 रुपये में कर सकते हैं. 

नाश्ता करने के बाद टाइम है गदर काटने का. इसके लिए लखनऊ रेज़ीडेंसी से बेहतर शुरुआत तो हो नहीं सकती. ये जगह 1857 में हुए भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम की गवाह है. महज़ 15 रुपये के टिकट में आप इसे घूम सकते हैं. अब यहां से अपन सीधा चौक चलेंगे. हज़रतगंज भी घूमेंगे पर शाम को.

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चौक मेट्रो तो आती नहीं, मगर टैक्सी आपको यहां ले आएगी. यहां पहुंचकर आप लखनऊ की असली नवाबियत से रू-ब-रू होंगे. बड़ा इमामबाड़ा यहीं पर है. नवाब आसिफ उद्दौला ने सन् 1784 में इसे बनवाया था. यहां ‘भूलभुलैया’, ‘आस़फी मस्जिद’ और ‘शाही बावली’ मौजूद है. इस शाही जगह को घूमने के लिए आपको महज़ 50 रुपये का टिकट लेना पड़ेगा. सुबह 6 से शाम 5 बजे तक आप यहां घूम सकते हैं. 

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मगर इतने घंटे कोई घूमता थोड़ी है. 2 घंटा बहुत है. फिर सीधा घंटाघर पर पहुंचेंगे. बगल में ही है. हुसैनाबाद क्षेत्र में ऐतिहासिक घंटाघर पूरे विश्व में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है. 221 फीट ऊंचे इस घंटाघर का निर्माण नवाब नसीरूद्दीन हैदर ने 1887 ई. में करवाया था. घंटाघर देखने को कोई टिकट नहीं है, क्योंकि, उसे बाहर से ही देखना है. 

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हां, मगर उसके पीछे बनी ‘हुसैनाबाद पिक्चर गैलरी’ के लिए टिकट लेना पड़ेगा. इसे नवाब मोहम्मद अली शाह ने 1838 में बनवाया था. यहां लखनऊ के लगभग सभी नवाबों की तस्वीरें देखी जा सकती हैं. महज़ 20 रुपये में आप इस ख़ूबसूरत जगह का दीदार कर सकते हैं. 

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इसी इलाके में छोटा इमामबाड़ा भी मौजदू है. इसे घूमने के लिए आपको अलग से टिकट लेने की ज़रूरत नहीं है. बड़े इमामबाड़े के टिकट में ही ये शामिल रहता है. 

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इतना घूमने के बाद आप यक़ीनन थक गए होंगे. दोपहर के वक़्त भूख भी ज़ोर की लगेगी. तो परेशान न हों. ये अच्छी बात है. क्योंकि भूख जितनी होगी, टुंडे के कबाब-परांठों का मज़ा उतना ही ज़्यादा आएगा. चौक के अकबरी गेट में ही टुंडे कबाबी मौजूद है. महज़ 150 रुपये में आप मनभर के कबाबों का लुत्फ़ उठा सकते हैं. 

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मगर ध्यान रखिएगा. इदरीस की बिरयानी के लिए पेट में जगह बनी रहे. क्योंकि लखनऊ आए और बिरयानी नहीं खाई, तो बहुत पछताओगे. चौक चौराहे से महज़ आधा किमी की दूर पर ही इदरीस बिरयानी है. यहां भी आपको क़रीब 150 रुपये ही बिरयानी के लिए देने होंगे. या फिर आप चौपटिया इलाके में लल्ला बिरयानी भी टेस्ट कर सकते हैं. अकबरी गेट से दोनों ही जगह पास में हैं. क़ीमत भी क़रीब उसकी इतनी ही है.

चौक की क़रीब-क़रीब हर ख़ास जगह आप अब तक निपटा चुके हैं. शाम होने में अभी भी वक़्त है, तो क्या करें? गुरू अमीनाबाद पहुंचो. लखनऊ का सबसे बड़ा और पुराना बाज़ार है. यहां पहुंचकर दो चीज़ें ज़रूर ट्राई करिएगा. पहली, पंडित की चाट, जिसके लिए आपको महज़ 25 रुपये खर्च करने होंगे. दूसरा, प्रकाश की फ़ेमस कुल्फ़ी, जो 70 रुपये में आपको ग़ज़ब की ठंडक पहुचाएगी. बाकी, पूरा अमीनाबाद पड़ा है, सैर-सपाटे के लिए. 

अब तक अपने सूरज चाचू ढल लिए हैं. अब बारी है शाम-ए-अवध के दीदार की. और ये आपको हज़रतगंज से बेहतर कहां मिलेगी. यहां पहुंचकर सबसे पहले तो आप फ़ुटपाथ किनारे बनी बेंच पर बैठ जाइए और आराम फ़रमाते हुए इस शहर के लोगों को देखिए. हर तरफ़ आपको बस मस्ती का मूड मिलेगा. 

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यक़ीन मानिए, आपकी जितनी भी थकान है यहां लोगों को देखकर मिट जाएगी. हलवासिया चौराहे से अटल चौक तक टहल कर देखिए, ग़ज़ब की रौनक रहती है इस जगह पर. मैं आपको दस्तरख़्वान जाकर नॉनवेज खाने की सलाह नहीं दूंगा. ऐसा नहीं है कि यहां नॉनवेज अच्छा नहीं है. बस आपको चौक में खा चुके हैं, तो यहां कुछ और ट्राई करना चाहिए.

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एक चीज़ यहां बेस्ट हैं ट्राई करने के लिए. वो है रॉयल कैफ़े की बास्केट चाट, जो क़रीब 200 रुपये की आती है. लखनऊ और ख़ासतौर से हज़रतगंज आने वाला हर शख़्स इसे एक बार ज़रूर ट्राई करता है, इसलिए आपको भी करना चाहिए. 

अब एक काम करते हैं, वापस से चौक चलते हैं. मालूम है थक गए हैं, मगर चौक में तीन चीज़ें करनी बाकी रह गई हैं. वैसे गर्मी में आएंगे, तो दो चीज़ें. क्योंकि, मलाई-मक्खन आपको सर्दियों में ही मिलेगा. 50 रुपये आप इसे खा पाएंगे. सुबह और रात किसी भी वक़्त.

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बाकी, हर मौसम में राम आसरे की मलाई गिलौरी या मलाई पान का मज़ा लखनवी लोग लेते रहते हैं. सन 1805 में स्थापित हुई इस दुकान की बात ही अलग है. यहां की मलाई गिलौरी शाही व्यंजनों में शामिल है. ऐसा कहा जाता है कि नवाब वाजिद अली शाह के लिए खासतौर से राम आसरे ने इस मिठाई को इजाद किया था. आप 150 रुपये में इसे भी मन भर कर खा सकते हैं. 

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अब लखनऊ की रात बिना पान के तो अधूरी है. अकबरी गेट के पास अज़हर भाई की शाही पान की दुकान मौजूद है. क़रीब 80 साल पुरानी इस दुकान में 52 तरह के पान बनते है. आप महज़ 20 रुपये में यहां मीठे पान का लुत्फ़ उठा सकते हैं.

पान-पान चबाते-चबाते आप हिसाब लगा लीजिए, आपका ये पूरा सफ़र 1000 रुपये में निपट गया है. (Things To Do In Lucknow Under Rs 1000)