आजकल इतनी व्यस्त लाइफ़ हो गई है कि 24 घंटे भी कम लगते हैं. सारा दिन दिमाग़ इसी उधेड़-बुन में रहता है कि कहीं कोई ज़रूरी काम न छूट जाए और आपकी इस परेशानी में अकसर ज़रूरी काम छूट ही जाता है और आपको लगता है कि ऐसा टाइम प्रेशर की वजह से होता है. इस पर अमेरिका ने एक सर्वे किया.  

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‘टाइम प्रेशर’ क्या है?

इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले कुछ लोगों का कहना था कि, ‘टाइम प्रेशर’ एक ऐसी फ़ीलिंग है, जिसमें आपको लगता है कि आप जो करना चाहते हैं उसके लिए आपके पास टाइम नहीं है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि टाइम प्रेशर के बारे में ऐसी सोच ग़लत है. 

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जब 1965 से 2003 तक अमेरिका के एवरेज वर्कवीक में तीन घंटे कम किए गए हैं और आराम का टाइम बढ़ाया गया है, वहीं दुनिया की कई जगहों पर भी वर्कवीक घटाया गया है, तो टाइम प्रेशर बढ़ा कैसे?

ग्रेटर गुड मैगज़ीन के मुताबिक, टाइम की कमी महसूस होना सिर्फ़ हमारे दिमाग़ का फ़ितूर है. हर समय टाइम कम होने का रोना रोने से बेहतर है कि थोड़ा समय निकालकर अपनी साइकोलॉजी पर काम किया जाए.

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एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर आप जानना चाहते हैं कि आपको टाइम प्रेशर की समस्या है या नहीं, तो ख़ुद से ये 4 सवाल ज़रूर पूछिए और आपको जवाब मिल जाएगा. 

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ये रहे वो सवाल:

पहला सवाल-

आप जो करते हैं, क्या उसे एंजॉय करते हैं?

दूसरा सवाल- 

क्या आपका लक्ष्य आपको बिल्कुल सही से पता है? अगर नहीं, तो क्या आपको हर समय काम पेंडिंग लगता है या उनके लिए टाइम निकालने की कोशिश करते रहते हैं.

तीसरा सवाल- 

क्या आपको लगता है कि आपका अपनी लाइफ़ पर कंट्रोल है. क्योंकि टाइम प्रेशर तब फ़ील होता है जब आपको लगता है कि आप कंट्रोल खो रहे हैं.

चौथा और आख़िरी सवाल-

आप अपने समय की कितनी कद्र करते हैं. कई सर्वेज़ में ये बात सामने आई है कि जिन लोगों के पास ज़्यादा पैसे होते हैं वो ज़्यादा टाइम प्रेशर फ़ील करते हैं. 

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ये चार सवाल नहीं, बल्कि आपके टाइम प्रेशर का जवाब है. इन सवालों का मतलब है कि आपको अपने अंदर उठे इन सवालों का जवाब ढूंढना है और अपने टाइम प्रेशर को ख़ुद कम करना है. 

हालांकि, असल बात ये है कि टाइम प्रेशर सिर्फ़ आपका दिमाग़ी फ़ितूर है जिससे आप अपना रूटीन चेंज करके छुटकारा पा सकते हैं. साथ ही आपको स्मार्टवर्कर भी होना ज़रूरी है.