अहिल्यानगरी इंदौर (Indore) से लगभग 180 किलोमीटर दक्षिण में है शहर बुरहानपुर (Burhanpur). बुरहानपुर के जलेबा को पूरे भारत में मशहूर है, लेकिन ये शहर सिर्फ़ मिठाई के लिये ही मशहूर नहीं है. आगरा के मशहूर संगमरमर के मक़बरे, ताजमहल (Taj Mahal) को दुनिया ने मोहब्बत की निशानी के रूप क़ुबूल किया है. इसकी ख़ूबसूरती आज भी किसी को भी सम्मोहित कर दे.
ये भी पढ़िए- ताजमहल या तेजोमहालय, आख़िर क्या है दुनिया के सातवें अजूबे की असल सच्चाई?
जानिये काले ताजमहल के बारे में
आगरा का सफ़ेद ताज महल शाहजहां ने अपनी बेग़म मुमताज़ की याद में बनवाया था. आर्किटेक्चर (Architecture) की दृष्टि से उत्कृष्ट है ये मक़बरा. शाहजहां को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर स्थित, काला ताजमहल से ही आगरा में संगमरमर का ताजमहल बनाने का आईडिया लिया.
शाहनवाज़ ख़ान का मक़बरा
इतिहासकारों की मानें तो काला ताजमहल, शाहनवाज़ ख़ान का मक़बरा है. अब्दुल रहीम खानखाना का बड़ा पुत्र था शाहनवाज़ ख़ान. बुरहानपुर में जन्मे ख़ान की बहादुरी और शौर्य ने उसे मुग़ल फौज का सेनापति बनने का अवसर दिया. शाहनवाज़ ख़ान और उसकी पत्नी को जिस जगह पर दफ़नाया गया वहीं काला ताजमहल बनाया गया.
बुरहानपुर में ही शाहजहां की दूसरी पत्नी, मुमताज़ ने आख़िरी सांस ली थी और यहीं पर मक़बरा बनना था. बुरहानपुर की मिट्टी में दीमक और कीड़े-मकोड़े ज़्यादा होने की वजह से ताजमहल को आगरा में बनवाया गया. बुरहानपुर का काला ताज आज धूल खा रहा है और ये उतना मशहूर नहीं हो पाया जितना बाक़ी मुग़लकालीन इमारतें हुईं.