पूरी दुनिया अजीब और रोचक तथ्यों से भरी पड़ी है. कुछ तथ्य तो इतने चौंकाने वाले और विचित्र हैं कि उन पर यक़ीन करना भी मुश्किल है. हालांकि, वो सच हैं. अगर आपकी दिलचस्पी ऐसे ही तथ्यों को जानने में है तो ये आर्टिक्ल आपके बेहद काम आने वाला है. 

तो चलिए जानते हैं कुछ ऐसे ही तथ्यों के बारे में जिन्हें पढ़कर आपका मुंह खुला का खुला रह जाएगा. 

1. स्विट्ज़रलैंड के सीवरों से हर साल करोड़ों रुपये का सोना और चांदी बह जाते हैं

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जुलाई 2017 में किए गए एक अध्ययन से पता चला कि स्विट्ज़रलैंड के सीवर मूल्यवान सामग्री से भरे हुए हैं. शोधकर्ताओं के मुताबिक, यहां के सीवरों में हर साल 13,16,64,690 रुपये के मूल्य का सोना और 12,43,49,985 रुपये की चांदी बह जाती है. ये लगभग 7,000 पाउंड कीमती धातु को अपशिष्ट जल में डालने के बराबर है. शोधकर्ताओं का मानना ​​​​है कि ये सामग्री शायद स्विट्जरलैंड में सोने की रिफाइनरियों और फार्मास्युटिकल उद्योग से आती है. दुर्भाग्य से, इसकी मात्रा इतनी ज्यादा है कि पूरा रिकवर भी नहीं किया जा सकता.

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2. आकाशगंगा (मिल्की वे) में जितने तारे हैं, उससे कहीं अधिक हमारी धरती पर पेड़ मौजूद हैं 

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नासा के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि मिल्की वे में क़रीब 400 अरब तारे हैं. वहीं, हाल के अध्ययनों से पता चला है कि हमारी धरती पर क़रीब 3 ट्रिलियन पेड़ हैं, जो आकाशगंगा में तारों की संख्या से लगभग 10 गुना ज़्यादा है.

3. पृथ्वी पर मौजूद आधा पानी सूर्य से भी पहले से है

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सूर्य का जीवन क़रीब 4.6 अरब साल पहले शुरू हुआ था और हमारे धरती पर इससे पहले से ही पानी मौजूद है. खगोल भौतिकीविदों द्वारा किए गए शोध के अनुसार, पृथ्वी पर अधिकांश पानी इंटरस्टेलर गैस से आया है, जो पहली बार सौर मंडल के बनने के समय जम गया था. बाद में सूर्य की गर्मी से यही बर्फ़ पिघली और पानी वाष्पीकृत भी हुआ.

4. ब्रह्मांड का असली रंग काला नहीं है

ज़्यादातर लोग यही सोचते हैं कि ब्रह्मांड काला है. मग़र ऐसा नहीं है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, इसका रंग एक प्रकार का बेज है यानि गहरा पीला और एक्वामरीन के बीच इसका रंग है. 

5. रूस और प्लूटो एक ही आकार के हैं

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प्लूटो का आकार रूस जितना है. नासा के न्यू होराइजन्स मिशन के अनुसार, प्लूटो का कुल सतह क्षेत्र 17,646,012 किमी 2 है. दुनिया के सबसे बड़े देश रूस का आकार भी क़रीब-क़रीब इतना ही है. अनुमान के मुताबिक, रूस का कुल एरिया 17,125,200 किमी 2 है.

6. सबसे पहले OMG का यूज़ कब हुआ था?

आजकल बहुत से लोग ओह माई गॉड की जगह उसके शॉर्ट फ़ॉर्म OMG का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन इसका सबसे पहली बार इस्तेमाल विंस्टन चर्चिल और एडमिरल्टी के फर्स्ट सी लॉर्ड के बीच 1917 में एक पत्र व्यवहार के दौरान हुआ था. लॉर्ड फ़िशर ने बताया भी था कि OMG का मतलब Oh! My God! है.

7. माउंट एवरेस्ट को सबसे पहले मापने वाले ने जानबूझकर ग़लत आंकड़ा दिया था

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माउंट एवरेस्ट की सटीक ऊंचाई को मापना एक कठिन काम था, और पहला आधिकारिक आंकड़ा 1856 में आया. जब सर एंड्रयू वॉ द्वारा ग्रेट ट्रिग्नोमेट्रिक सर्वेक्षण किया गया था. हालांकि, इस आंकड़े को लेकर वो चिंतित थे. उन्हें लगा कि इतने सटीक फ़िगर को लोग ग़लत मानेंगे. ऐसे में उन्होंने दो फ़ीट अतिरिक्त जोड़ने का फ़ैसला किया. हैरानी की बात ये थी कि ये आंकड़ा असल में ज़्यादा सटीक निकला, क्योंकि अब अधिकांश लोग एवरेस्ट की ऊंचाई को 29,029 फीट मानते हैं.

8. पेड़ों से भी पहले से धरती पर मौजूद हैं शार्क

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आपको जानकर आश्चर्य हो सकता है कि शार्क वास्तव में पेड़ों से भी पुरानी हैं. माना जाता है कि शार्क 400 मिलियन वर्ष पहले सामने आई थीं. जबकि पेड़ की सबसे पहली प्रजाति सहारा रेगिस्तान में उसके 50 साल बाद आई.

9. गर्म और ठंडे पानी के बीच का अंतर सुना भी जा सकता है

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विभिन्न प्रयोगों से पता चला है कि लोग केवल अपने कानों का उपयोग करके गर्म और ठंडे पानी के बीच का अंतर आसानी से बता सकते हैं. नल से निकलने वाले पानी की आवाज़ सुनकर लोग 100 फ़ीसदी ठीक अनुमान लगा सकते हैं. इसका कारण ठंडे पानी का ज़्यादा चिपचिपा और गाढ़ा होना  है, जिससके कारण इसमें से उच्च आवृत्ति का शोर पैदा करता है.

10. पहली एडल्ट फ़िल्म कब आई थी?

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सबसे पहली कामुक फिल्म को ‘स्टैग फिल्म्स’ के रूप में जाना जाता है. सात मिनट की इस फ़्रेंच फ़िल्म का नाम ‘ले काउचर डे ला मैरी’ था. इसे 1896 में पेरिस में प्रदर्शित किया गया था. 

11. गुलामों ने नहीं बनाए थे पिरामिड.

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प्राचीन मिस्र में पिरामिड बनाने का काम करने वाले लोग गुलाम नहीं थे. वे कलाकार थे, जिन्हें काम के बदले वेतन भी मिलता था. 

12. गर्म पानी ठंडे पानी की तुलना में तेजी से जम सकता है.

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Mpemba प्रभाव एक ऐसी घटना है जिसके बारे में लोग प्राचीन काल से जानते हैं. इसमें गर्म पानी, ठंडे पानी की तुलना में  जल्दी जम जाता है. हालांकि, हमेशा ऐसा नहीं होता. इसे लेकर कई सिद्धांत सामने आए हैं. सबसे हालिया स्पष्टीकरणों में से एक ये है कि पानी में गर्म अणु आगे बढ़ने पर खिंचाव करने में सक्षम होते हैं. दरअसल, जब पानी को गर्म कर दिया जाता है तब इसमें उपस्थित अशुद्धियां कम हो जाती हैं. ऐसे में पानी के अणु जल्दी से पास-पास होते जाते हैं और वो ठण्डे ‌पानी की अपेक्षा जल्दी से जम जाता है.