लाइब्रेरी… कुछ लोगों के लिए एक बड़े से कमरे में बसी पूरी दुनिया तो कुछ लोगों के लिए सोने, मोहब्बत करने की जगह!
कोई किताब प्रेमी हो या न हो लेकिन लाइब्रेरी के बिन गुज़ारा किसी का भी नहीं चलता. यहां हर कोई जाता है, कोई दुनिया को जानने के लिए तो कोई परीक्षा में पास होने के लिए तो कोई किताबों की अल्मारियों के बीच से अपना प्रेम ढूंढने. हां जी फ़िल्मों का क़ुसूर है पर हक़ीक़त में भी ऐसे नमूने दिख जाते हैं.
दुनिया में कई तरह की लाइब्रेरीज़ हैं, आकार और प्रकार अलग-अलग पर सबमें एक ही खज़ाना, ज्ञान का. आमतौर पर लाइब्रेरीज़ ज़मीन के ऊपर और ऊपर ही होती हैं. पर क्या आप जानते हैं कि हिन्दुस्तान में ही एक विशालकाय लाइब्रेरी है और वो भी ज़मीन के नीचे.
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कहां है ये लाइब्रेरी?
राजस्थान की धरती को हम राजा-रजवाड़े, कीले के लिए ही जानते हैं. राजस्थान के थार रेगिस्तान के जैसलमेर में है एक गांव, नाम भादरिया.
इस गांव में ज़मीन के नीचे बनी है एक विशालकाय लाइब्रेरी, जिसमें हैं 9 लाख से ज़्यादा क़िताबें! इस बात का दावा ख़ुद राजस्थान टूरिज़्म करती है.
#DidYouKnow Bhadariya – an underground library in Jaisalmer with over 9 lakh books is the Asia’s biggest #library! pic.twitter.com/0fJAbXpiZl
— Rajasthan Tourism (@my_rajasthan) June 27, 2016
4000 लोगों के बैठने की व्यवस्था
इस लाइब्रेरी में 4000 लोगों के बैठने की व्यवस्था है. ये व्यवस्था ही इसे एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी बनाती है. भादरिया गांव के एक मंदिर के नीचे बनी ये लाइब्रेरी ज़मीन से 16 फ़ीट नीचे है और किताब प्रेमियों के लिए हीरे की खदान है. ज़मीन से नीचे होने की वजह से ये जगह ठंडी रहती है.
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ये है इतिहास
एक लेख के मुताबिक़ इस लाइब्रेरी का निर्माण हरबंश सिंह निर्मल उर्फ़ भादरिया महाराज ने किया था. भादरिया महाराज को पढ़ने का शौक़ था और उन्होंने दुनियाभर से किताबें जमा करके ये लाइब्रेरी बनाई. उन्हें हज़ारों किताबें भेंट में भी मिलीं और 1998 में उन्होंने देवी का मंदिर बनवाने के लिए दान किया.
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भदारिया महाराज ने पढ़ी सारी किताबें
गांववालों का कहना है कि भदारिया महाराज इस लाइब्रेरी में सालों तक रहें और उन्होंने लगभग सारी किताबें पढ़ डालीं! यहां इतिहास, विज्ञान, खगोल शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र समेत कई विषयों की किताबें हैं. यहां लोगों को एटलस, ग्लोब भी मिल जाएंगे.
हर किसी को मिलती हैं किताबें
562 शीशे के शेल्फ़ में रखी किताबें शोधार्थियों और पाठकों को दी जाती हैं. यहां की लाइब्रेरी में दुनियाभर से पाठक आते हैं. गांववाले ही इस लाइब्रेरी की देख-रेख करते हैं.
तो अगली बार जब राजस्थान का दौरा करने जाएं, यहां जाना न भूलें.