Sustainable Furniture Kaath Kagaz: जहां लोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हुए पेड़ों को काटने का अपराध कर रहे हैं, वहीं संदीप सरन जैसे भी लोग हैं, जो प्रकृति को ज़रा सी नुकसान पहुंचाये बिना अपना लाखों का बिज़नेस चला रहे हैं. संदीप अपने इस आइडिया से पर्यावरण को हानि नहीं, बल्कि ख़राब पड़ी लकड़ी का इस्तेमाल करके कुछ बेहतर बना रहे हैं. हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले संदीप सरन की, जो एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं. इन्होंने 1984 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी. आज Sustainable Furniture के मार्केट में अपने काम के ज़रिए लोगों के बीच में जगह बना रहे हैं.

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चलिए इनके इस Sustainable Furniture बिज़नेस के बारे में जानते हैं:

संपन्न परिवार से ताल्लुक़ रखने वाले संदीप सरन का वाराणसी शहर में सिंगल स्क्रीन थियेटर था. बाकी लड़कों की तरह संदीप भी अपने फ़ैमिली से जुड़ गए. मगर अपने लकड़ी प्रेम को भी नहीं छोड़ा क्योंकि इंजीनियरिंग के दौरान संदीप ने लकड़ी, मेटल और अन्य मैटेरियल से चीज़ों को बनाना सीखा था साथ ही वर्कशॉप में लेथ जैसे कुछ मशीनों को भी चलाना सीखा था.

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द बेटर इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार संदीप के इस बिज़नेस के शुरू करने के पीछे की वजह और प्रेरणा दोनों के बारे में जानते हैं.

60 साल के संदीप अपने खाली समय में अक्सर लकड़ी की चीज़ें बनाया करते थे. शुरुआत में तो इन्होंने बहुत छोटी-छोटी चीज़ें जैसे, लकड़ी का फ़्रेम, पेन होल्डर आदि बनाए, लेकिन बाद में बड़े फ़र्नीचर में रॉकिंग चेयर, बगीचे के लिए बेंच, सेंटर टेबल और कैबिनेट आदि बनाए, जो भी देखता उसे संदीप का सामान बहुत पसंद आता था. इस पर संदीप कहते हैं,

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मैं फ़र्नीचर बनाने में बेसिक टूल्स का इस्तेमाल करता हूं, जिसमें बिजली की खपत नहीं होती है. मैंने जब धीरे-धीरे फ़र्नीचर बनाकर रखना शुरू किया तो मेरे दोस्त और पड़ोसियों को ये काफ़ी पसंद आए, जब मैंने बताया कि ये सब मैंने बनाया है तो वो ख़ुश भी हुए और चौंक भी गए.

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आगे बताया,

कुछ समय बाद मुझे लोगों ने अपनी इच्छानुसार फ़र्नीचर बनाने के ऑर्डर देने शुरू किये. मैं किसी के लिए लंबी तो किसी के लिए छोटी कुर्सी बनाने लगा. किसी को डेस्क चाहिए थी तो मैंने सबकी पसंद के मुताबिक़ सामान बनाना शुरू किया.

लोगों के ऑर्डर पर बनाने के अलावा संदीप अपने लिए भी फ़र्नीचर बनाते थे, जिससे इनके घर में काफ़ी जगह भर गई थी, तभी इन्होंने साल 2017 में अपने Sustainable Furniture के लिए ‘काठ कागज़’ (Kaath Kagaz) नाम का एक वॉक-इन होम स्टूडियो खोला. संदीप फ़र्नीचर बनाने के लिए नए या हरे-भरे पेड़ों की लकड़ी का नहीं, बल्कि सूखी-बेकार पड़ी लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं. कहा जाए तो, वो बेकार पड़ी लकड़ी को अपसाइकल करके फ़र्नीचर बनाते हैं. इस वेस्ट लकड़ी से खड़े किए बिज़नेस से संदीप सालाना 12 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक की कमाई करते हैं.

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पर्यावरण का ध्यान रखते हुए फ़र्नीचर बनाने के लिए कोयले की बनी बिजली का नहीं, बल्कि सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करते हैं. है. लकड़ी के बेहतरी के लिए AC भी नहीं चलाते हैं क्योंकि AC में लकड़ी में नमी आ जाती है. इतना ही नहीं, निजी जीवन में भी संदीप AC का इस्तेमाल नहीं करते हैं. सूखी बेकार लकड़ियों के इस्तेमाल के बारे में वो कहते हैं,

भारत में बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई होती है, जिससे पर्यावरण को हानि पहुंचती है. इसलिए मैं ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहता था, जिससे पर्यारवण को नुकसान पहुंचता है. तब मैंने सूखे पेड़ों की लकड़ियां या ऐसे पेड़ जो गिर जाया करते थे, उनकी लकड़ियां इकट्ठा करना शुरू किया और उनसे फ़र्नीचर बनाने की शुरुआत की.

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संदीप कहते हैं कि,

एक बार एक लड़की पर बिजली गिरने से उसकी आकृति बिल्कुल मछली जैसी हो गई तो मैंने उस आकृति का इस्तेमाल करते हुए उससे एक टेबल बना दी, जो काफ़ी अच्छी लग रही थी और उसका आकार प्राकृतिक रूप से उभरा था तो कहीं और मिलना असंभव था. 

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संदीप की कस्टमर वक़ील नेहा गुप्ता का कहना है कि,

मैं साल 2018 से संदीप की रेगुलर कस्टमर हूं. मैंने काठ कागज से लकड़ी की कटलरी, एक बेड, टेलीविज़न कैबिनेट, स्लाइडिंग-रॉकिंग चेयर और अपने लिविंग रूम के लिए कई फर्नीचर ख़रीदे हैं. संदीप की क्रिएटिविटी इतनी कमाल की है उनके जैसे बनाए फ़र्नीचर मार्केट में नामुमकिन है. मैंने इनसे एक टेबल बनवाई जिसमें आइस स्टोरेज और उस टेबल पर रखी ड्रिंक ठंडी बनी रहती है.   

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संदीप अपने स्टूडियो में आने वाले ग्राहकों की पसंद के हिसाब से ऑर्डर ले लेते हैं, लेकिन उसकी शुरुआत लकड़ियां इकट्ठा होने के बाद ही करते हैं क्योंकि वो अपने काम से प्रकृति का किसी भी तरह का कष्ट नहीं देना चाहता है. इस पर उनका कहना है कि,

प्रकृति हमें बहुत प्यार देती है, लेकिन अगर इसका सम्मान नहीं किया जाए तो ये हमें माफ़ भी नहीं करती. इसलिए प्लास्टिक के उपयोग को कम करें ताकि प्रकृति के लिए एक बेहतर कदम उठा सकें.

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शौक़ में शुरू किये गये इस काम को अब संदीप पूरी शिद्दत से करते हैं. अगर कोई फ़र्नीचर बनाने में ज़रा सी ग़लती हो जाती है तो वो उसे दोबारा से बनाना शुरू करते हैं क्योंकि संदीप क्वालिटी वर्क पर विश्वास करते हैं क्वांटिटी वर्क पर नहीं है. यही वजह है कि, उनके सामान मार्केट में मिलने वाले सामानों से बिल्कुल अलग और बेहतर होते हैं.

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आपको बता दें, संदीप ने Sustainable Furniture बनाने का काम तब शुरू किया था जब शहर में भारतीय रेलवे के लिए इंजन बनाने वाली कंपनी ने ‘डीज़ल लोकोमोटिव वर्क्स’ ने USA से स्पेयर पार्ट्स और एक्सेसरीज़ ख़रीदे, जिन्हें देवदार की लकड़ियों से बने बक्से में मंगाया जाता था. इन लड़कियों को मिसिसिपी के सस्टेनेबल जंगलों से लाया जाता है. भारत के भी कुछ हिस्सों में ये लकड़ी मिल जाती है. ये लड़की इतनी मज़बूत होती है कि पीढ़ियों तक चलती है. बस उन्हीं लकड़ियों को सुखाकर अपसाइकल करके फ़र्नीचर बनाने की शुरुआत की.