Vaseline Success Story: हम सभी वैसलीन का इस्तेमाल तो करते ही हैं. जाड़े में ख़ास तौर पर जब होंठ फ़ट जाते हैं. मगर क्या आप जानते हैं कि जिस वैसलीन को आप लगा रहे हैं कि उसकी शुरुआत आज से 150 साल पहले हुई थी. उस वक़्त ये घाव भरने के काम आती थी, मगर आज स्किनकेयर का बड़ा ब्रांड बन चुकी है. (Vaseline History)

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तो चलिए आज जानते हैं घर-घर में इस्तेमाल होने वाली वैसलीन का इतिहास. (Story Of Vaseline)

जहाज कर्मचारियों से मिला वैसलीन का आइडिया

वैसलीन की खोज एक अमेरिकन केमिस्ट रॉबर्ट अगस्टस (Robert Augustus) ने की थी. दरअसल, पेंसिलवेनिया की यात्रा के दौरान 22 वर्षीय रॉबर्ट ने देखा कि जहाज पर काम करने वाले कर्मचारी ऑयल पाइप से वैक्स को निकालकर अपने घाव और चोट पर लगा रहे थे. जब उन्होंने इसके पीछे की वजह पूछी तो उन लोगों ने बताया कि इससे घाव भर जाता है.

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Vaseline Success Story

वैक्स से घाव भरने के पीछे की वजह जानने के लिए रॉबर्ट ने रिसर्च की. उन्होंने पाया कि वैक्स एक तरह की पेट्रोलियम जेली है जो रूखी त्वचा और घावों को ठीक कर सकती है.

इसके बाद रॉबर्ट ने साल 1870 में उस वैक्स को वैसलीन नाम दिया. ये दो शब्दों से मिलकर बना है. WASSER और ALLIONE. WASSER एक जर्मन का शब्द है, जिसका मतलब होता है पानी और ALLIONE का अर्थ है जैतून का तेल.

दरअसल, जिस तरह जैतून का तेल स्किन को माइश्चराइज और घाव को भरने का करने का काम करता है, वैसा ही काम वैसलीन भी करती है. साथ ही, इसका ना तो कोई कलर था और ना ही गंध. (Vaseline Old Ads)

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घोड़े से घूम-घूम कर किया वैसलीन का प्रचार

रॉबर्ट ने ब्रूकलिन में वैसलीन की पहली फ़ैक्ट्री डाल दी. मगर उन्हें अपने प्रोडेक्ट का प्रचार भी करना था. लोगों को वैसलीन के फ़ायदे बताने के लिए उन्होंने घोड़े से ही अमेरिका के अलग-अलग शहरों में जाना शुरू किया.

दो सालों की कड़ी मेहनत के बाद उनका प्रचार रंग लाया. अमेरिकी लोगों के बीच वैसलीन इतनी पॉपुलर हुई कि इसके 1400 टिन एक दिन में बिकने लगे.

धीरे-धीरे वैसलीन दूसरे देशों में भी पॉपुलर होने लगी. वैसलीन लोशन और मॉइश्चराइज़र भी लॉन्च हो गए. फिर साल 1987 में यूनिलीवर ने रॉबर्ट कंपनी को खरीद लिया.

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जब भारत में खुली ‘रौनक की डिबिया’

भारत में वैसलीन ने साल 1947 में एंट्री ली. हालांकि, भारत की तुलना में चीन में ये ज़्यादा सफ़ल रही. लेकिन बाद में इसकी बिक्री भारत में तेज़ी से बढ़ी. कंपनी ने भारत में इसका ज़ोरशोर से प्रचार किया. ‘रौनक की डिब्बिया खुल गई रे’ टैग लाइन के साथ इसका विज्ञापन आया. (Vaseline In India)

उसके बाद से वैसलीन और उसके प्रोडेक्ट्स घर-घर में मिलने लगे. जो वैसलीन कभी चोटों को सही करने के काम आती थी, वो अब स्किनकेयर का बड़ा ब्रांड बन गई. आज 70 से ज़्यादा देश इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.

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