हम लोगों को अक्सर शायराना अंदाज़ में कहते सुनते हैं कि ‘ज़िंदा तो हूं, मगर ज़िंदा महसूस नहीं करता.’ मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि इस दुनिया में ऐसे लोग हैं, जो वास्तव में ज़िंदा होने के बावजूद ज़िंदा महसूस नहीं करते. ऐसा एक मानसिक बीमारी के चलते होता है. इस बीमारी का नाम ‘कोटार्ड्स सिंड्रोम’ (Cotard’s syndrome) है.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/11/619deb48f04a67000117c919_9531d867-7e74-4352-a0e1-0037619610b2.jpg)
ये भी पढ़ें: ये 5 बीमारियां जितनी दुर्लभ हैं उतनी ही ख़तरनाक भी, डॉक्टर्स भी नहीं ढूंढ पाए इनका इलाज
पीड़ित शख़्स अपने अस्तित्व को ही अस्वीकार कर देता है
ये एक दुर्लभ क़िस्म की बीमारी है, जिसमें शख़्स को ऐसा भ्रम होता है कि वो मर चुका है. उसे ऐसा भी लग सकता है कि उसका कोई अंग मौजूद नहीं है. ऐसे में इसे शून्यवादिता का भ्रम (नाईलिस्टिक डिल्यूज़न) और कई बार वॉकिंग कॉर्पस सिंड्रोम भी कहते हैं.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/11/619deb48f04a67000117c919_48fb978a-2c56-4050-ba52-fde396d20fab.jpg)
बीमारी का डिप्रेशन से नज़दीकी संबंध है
बता दें, डिप्रेशन का कोटार्ड्स सिंड्रोम से काफ़ी निकट संबंध है. 2011 में एक शोध हुआ था, उसमें पाया गया कि इस तरह के जितने भी मामले आए हैं, उनमें 89% में डिप्रेशन के लक्षण मौजूद थे. इसके अलावा एंग्ज़ायटी, हेलोसिनेशन वगैरह भी इसके लक्षण हैं.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/11/619deb48f04a67000117c919_b07e2fb3-f7a5-42a0-9b80-e8e5ba44d57a.jpg)
कौन लोग हो सकते हैं इस बीमारी का शिकार?
शोधकर्ता कोटार्ड्स सिंड्रोम के कारणों को लेकर पुख़्ता तौर पर कुछ नहीं बता पाए हैं. मगर रिसर्च से सामने आया है कि 50 से ज़्यादा उम्र वाले लोग इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं. वहीं, 25 से कम उम्र वालों में भी इससे पीड़ित होने की संभावना हो सकती है. ख़ासतौर से महिलाओं को जोख़िम ज़्यादा होता है. इसके अलावा, दिमाग़ी इन्फ़ेक्शन, डिमेंशिया और स्ट्रोक वगैरह से पीड़ित व्यक्ति भी इसका शिकार हो सकते हैं.
इस बीमारी का इलाज क्या है?