Guarantee And Warranty: हम अक्सर जब भी किसी दुकान पर कोई इलेक्ट्रॉनिक आइटम ख़रीदने जाते हैं तो दुकानदार ताल ठोक के अपने प्रोडक्ट की ‘गारंटी’ और ‘वारंटी’ देता है. इस दौरान कुछ दुकानदार तो ये तक कह देते हैं कि इंसान घिस जायेगा लेकिन हमारा प्रोडक्ट सालों साल चलते रहेगा. इनकी तुर्रम खां वाली बातें सुनकर ग्राहक की आंखें चौंधिया जाती हैं और वो जोश में आकर प्रोडक्ट ख़रीद लेता है. फिर क्या? अरे वही ‘ढाक के तीन पात’. मतलब ये कि कुछ दिन इस्तेमाल करने के बाद प्रोडक्ट ख़राब और ग्राहक की परेड चालू.

ये भी पढ़ें: ‘निलंबित’ और ‘बर्ख़ास्त’ शब्द अक्सर सुने होंगे, क्या इनके बीच के अंतर को समझते हैं आप

economictimes

10 दिन के भीतर प्रोडक्ट ख़राब होने के बाद जब ग्राहक दुकानदार के पास पहुंचता है तो इस दौरान दुकानदार के बहाने सुनकर जो दिमाग़ ख़राब होता उसकी तो पूछो ही मत. भाई साहब आपने कूलर 5 घंटे तक लगातार चलाया था क्या? अरे भाई साहब ऐसा नहीं करना चाहिए था, थोड़ा आराम देना चाहिए था. इंसान भी तो आराम करता है न. आपने कितने वाट वाले ‘प्लग’ पे कूलर चलाया था? अरे भाई साहब ‘फ़ोर प्लग’ पे नहीं लगाना चाहिए था. आपने कूलर पानी से फ़ुल कर दिया था क्या? अरे भाई साहब ऐसा नहीं करते कूलर ख़राब हो जाता है. ब्ला… ब्ला… ब्ला…ये सब सुनकर किसका दिमाग ख़राब नहीं होगा!  

jagranjosh

ये सब उन लोगों के साथ होता है जो छोटी-मोटी दुकानों से इलेक्ट्रॉनिक आइटम ख़रीदते हैं, जहां पर ग्राहक को मुंह ज़बानी गारंटी दी जाती है. आज भी कई दुकानें ऐसी हैं जहां दुकानदार द्वारा ग्राहकों को मुंह ज़बानी गारंटी दी जाती है. लेकिन आज के दौर में हर छोटे से लेकर बड़े ब्रांड अपने प्रोडक्ट्स की ‘वारंटी और गारंटी’ देते हैं. ‘गारंटी’ और ‘वारंटी’ के अंदर भी कई तरह के ‘टर्म एंड कंडीशन’ होते हैं. ग्राहक कंपनियों के इसी ‘Guarantee And Warranty’ के चक्कर को समझ नहीं पाते हैं.

marketing91

गारंटी और वारंटी (Guarantee And Warranty) के बीच का अंतर अधिकतर लोगों को मालूम नहीं होता है. कुछ लोग तो इन्हें पर्यायवाची के रूप में जानते हैं. लेकिन ये सच नहीं है. ये दोनों ही शब्द एक दूसरे से एकदम अलग हैं. लेकिन इन इस दोनों के बीच एक बात कॉमन ये है कि ग्राहक को गारंटी/वारंटी का लाभ लेने के लिए पक्के बिल या गारंटी/वारंटी कार्ड रखना ज़रूरी होता है. इसके बाद भी यदि कोई दुकानदार सामान को बदलने या रिपयेर करवाने से मना करता है तो ग्राहक उपभोक्ता अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकता है.

javatpoint

इसीलिए आज हम आपको ‘गारंटी’ और ‘वारंटी’ के बीच क्या अंतर (Difference Between Guarantee And Warranty) होता है वही समझाने जा रहे हैं-

वारंटी किसे कहते हैं?

वारंटी (Warranty) विक्रेता की ओर से ग्राहक को दी जाने वाली एक विशेष छूट है जिसमें किसी प्रोडक्ट के ख़राब होने की दशा में दुकानदार/कंपनी द्वारा उस प्रोडक्ट को ठीक कराकर दिया जाता है. इसी को वारंटी कहते हैं. हालांकि, एप्पल समेत कुछ बड़ी कंपनियां प्रोडक्ट रिप्लेसमेंट की सुविधा भी देती हैं.

वारंटी की शर्तें

1- प्रोडक्ट ख़रीदने के बाद ग्राहक के पास या तो ख़रीदी गयी वस्तु का ‘पक्का बिल’ या फिर ‘वारंटी कार्ड’ होना चाहिए.

2- किसी भी प्रोडक्ट की वारंटी एक निश्चित समय के लिए ही होती है. अधिकतर प्रोडक्ट के केस में ये अवधि 6 महीने या 1 साल होती है.

3- वारंटी एक तय समय सीमा तक के लिए होती है. अगर आप चाहें तो इसे कुछ अधिक भुगतान करके आगे भी बढा सकते हैं.

4- वारंटी पीरियड ख़त्म के बाद प्रोडक्ट की रिपेयरिंग का दायित्व दुकानदार का नहीं होता है. इसके लिए अलग से आपको पैसे ख़र्च करने होंगे.

iamcheated

What Is The Difference Between Guarantee And Warranty

गारंटी किसे कहते हैं?

यदि कोई प्रोडक्ट गारंटी पीरियड (Guarantee Period) (सामान्यतः 1 साल) के दौरान ख़राब हो जाता है और प्रोडक्ट पर 1 साल की गारंटी लिखी गयी है तो दुकानदार ग्राहक को नया प्रोडक्ट देने के लिए बाध्य होता है. मतलब ये कि ख़राब प्रोडक्ट के बदले नया प्रोडक्ट देने को ही ‘गारंटी’ कहा जाता है.

गारंटी की शर्तें

1- गारंटी हासिल करने के लिए ग्राहक के पास ख़रीदे गये प्रोडक्ट का ‘पक्का बिल’ हो या ‘गारंटी कार्ड’ होना चाहिए.

2- गारंटी पीरियड के ख़त्म होने के पहले ख़राब प्रोडक्ट दुकानदार को लौटकर उसके बदले नया प्रोडक्ट मिल जायेगा.

3- गारंटी पीरियड के दौरान प्रोडक्ट चाहे कितनी बार भी ख़राब क्यों न हो ग्राहक को हर बार नया प्रोडक्ट मिलेगा.

4- प्रोडक्ट ख़रीदते वक़्त या बाद में गारंटी पीरियड को आप पैसा देकर आगे नही बढा सकते हैं.

pediaa

‘गारंटी’ और ‘वारंटी’ के बीच कुछ और मामूली अंतर (What Is The Difference Between Guarantee And Warrant)

1- ‘वारंटी’ लगभग हर प्रोडक्ट पर मिलती है, जबकि ‘गारंटी’ कुछ चुनिंदा प्रोडक्ट्स पर ही मिलती है.

2- ‘गारंटी’ वाले प्रोडक्ट्स के मुक़ाबले ‘वारंटी’ वाले प्रोडक्ट्स का दायरा बड़ा होता है  

3- ‘वारंटी’ में दिया जाने वाला समय अधिक होता है, जबकि ‘गारंटी’ कम समय के लिए दी जाती है. 

4- ‘वारंटी’ वाले प्रोडक्ट के मुक़ाबले ‘गारंटी’ वाले प्रोडक्ट को ख़रीदने में लोग ज़्यादा उत्सुक होते हैं.  

marketing91

ये भी पढ़ें: जानते हो ‘Toothpaste Tube’ के अंदर मौजूद ‘कलरफुल पेस्ट’ मिक्स क्यों नहीं होता है

नोट- ग्राहक को दी जाने वाली गारंटी और वारंटी कंपनी की अपने प्रोडक्ट के प्रति जवाबदेही होती है. यदि कोई उत्पाद लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है और उसके साथ गारंटी और वारंटी जैसी कोई सुविधा नहीं दी जाती हैं तो लोगों को इस प्रकार के उत्पाद को ख़रीदने से बचना होगा.