यह सवाल आपके भी दिमाग़ में आया होगा कि क्या हो अगर कोई लावा उगल रहे ज्वालामुखी में गिर जाए? दोस्तों, ज्वालामुखी का तापमान इतना ज़्यादा होता है कि कोई जानबुझकर इसके नज़दीक नहीं जाता है. वहीं, अगर कोई ग़लती से इसमें गिर जाए, तो उसका बच निकलना मुश्किल है. लेकिन, जानकर हैरानी होगी कि इतिहास में एक ऐसा भी शख़्स हुआ, जो ज्वालामुखी में गिरकर भी बच गया. आइये, हम बताते हैं उस शख़्स की कहानी और ज्वालामुखी से जुड़ी कई अनसुनी बातें.
ज्वालामुखी विस्फोट को नज़दीक से देखने पहुंचा था
बता दें कि विश्व के कई सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्रों में हवाई (यू एस) का नाम भी आता है. हवाई में किलाएवा नाम का एक ज्वालामुखी है, जो दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखी में से एक माना जाता है. 2019 में दौरान यहां एक बहुत बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था. कहा जाता है कि विस्फोट इतना बड़ा था कि लावा 150 मीटर ऊपर तक पहुंच रहा था. कहा जाता है कि इस ख़तरनाक ज्वालामुखी को नज़दीक से देखने के लिए एक अमेरिकी फौजी वहां पहुंचा था.
गिरा 70 फीट अंदर
कहते हैं कि वो 32 साल का अमेरिकी फौजी Hawaii Volcano National Park के ज्वालामुखी को नज़दीक से देखने के लिए पास में लगी रेलिंग पर चढ़ा और अंदर झांकने की कोशिश कर रहा था, तभी उसका संतुलन बिगड़ा और वो ज्वालामुखी में 70 फ़ीट तक अंदर चला गया. जानकर हैरानी होगी कि वो लावा के पास पहुंचकर भी जिंदा रहा, लेकिन वो गंभीर रूप से जल गया था.
वहीं, मौक़े पर उस फौजी को बचाने के लिए हेलीकॉप्टर से बचाव टीम आ गई थी और उसे एयरलिफ्ट करके निकाल लिया गया था. इस घटना को एक चमत्कार ही कहा जाएगा. बता दें कि उस व्यक्ति का नाम रिलीज़ नहीं किया गया था.
ज्वालामुखी का तापमान
आपको जानकर हैरानी होगी कि ज्वालामुखी के लावे का तापमान लगभग 1200 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है. वहीं, ज्वालामुखी के किनारों का तापमान 500 सेल्सियस के आसपास होता है. इसमें एक बार गिरने से किसी का बच कर बाहर आना मुश्किल है.
ज़हरीली गैस भी बनती हैं मौत का कारण
आपको बता दें कि ज्वालामुखी जब फटता है, तो अंदर से लावा के साथ-साथ Sulfur Dioxide और Carbon Monoxide जैसी ज़हरीली गैस भी बाहर निकलती हैं. इन गैस के बहुत देर तक संपर्क में रहने से व्यक्ति की जान भी जा सकती है.
पहुंच जाती है फेफड़ों में गर्म हवा
बता दें कि अगर कोई व्यक्ति ज्वालामुखी के अंदर या बाहर निकली हुई लावा में गिर जाता है, तो शरीर जलने से पहले लावा की गर्म हवा फेफड़ों के अंदर पहुंच कर व्यक्ति की जान ले सकती है. यही वजह है कि सक्रिय ज्वालामुखी के नज़दीक सैलानियों को जाने की इजाज़त नहीं है.