Starbucks Logo Girl: स्टारबक्स (Starbucks) में जाकर कॉफ़ी पीना बड़ी महंगी बकैती है. हमारे और आप जैसे ज़्यादातर लोग इससे दूर ही रहते और 2 रुपये वाला कॉफ़ी पाउच लाकर चुपचाप सुड़सुड़ा लेते. मगर इसका Logo आपने ज़रूर देखा होगा. क्योंकि, इस दुनिया में पैदा होने वाला इंसान अपना बर्थडे भूल सकता है, मगर स्टारबक्स जाकर फ़ोटो क्लिक करवाना और उसे सोशल मीडिया पर ठेलना नहीं. तो न चाहते हुए भी हमारी नज़र लोगो पर पड़ ही जाती है और उस खुले बाल वाली लड़की पर भी, जो स्टारबक्स के लोगो में हमेशा नज़र आती है. (Starbucks Coffee)

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ऐसे में ये सवाल दिमाग़ में आना लाजमी है कि आख़िर हरे रंग वाले लोगो में दिखने वाली लड़की कौन है और उसका स्टारबक्स से क्या लेना-देना है? आज आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं.

5 दशक में कई बार बदला Logo

स्टारबक्स को खुले 50 साल से ज़्यादा का वक़्त हो चुका है. इस दौरान उसका लोगो कई बार बदला. कभी इसका लोगो ब्राउन हुआ करता था. बाद में इसे हरा रंग दिया गया. मगर जो नहीं बदला, वो था लोगो के बीच में एक लड़की का होना. खुले बाल में हमेशा एक लड़की स्टाटबक्स के लोगो पर नज़र आई है. ये लड़की स्टारबक्स की पहचान बन चुकी है और आकर्षण भी.

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कौन है ये लड़की? (Who Is Starbucks Logo Girl)

स्टारबक्स लोगो पर नज़र आने वाली लड़की कोई हक़ीक़त नहीं है. मतलब वो महज़ एक मायथोलॉजिकल कैरेक्‍टर है, कोई वास्तविक इंसान नहीं. (Who is the Starbucks Siren?)

इस मायथोलॉजिकल कैरेक्‍टर का नाम सिरेन (Siren) है. सिरेन को पौराणिक कहानियों में हमेशा से ही दो पूंछ के साथ दर्शाया जाता था. 1971 में कंपनी के फ़ाउंडर, हर्मन मेलविल के उपन्यास मोबि-डिक (Moby Dick 1851)  काफी प्रभावित हुए और इस उपन्‍यास से ही स्टारबक्स नाम लिया. नाम रखने के बाद लोगो तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हुई. (Story Behind Starbucks Logo)

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Moby Dick किताब में समुद्र के बारे में जानकारी थी और एक जलपरी का ज़िक्र था. किताब में इस सिरेन नाम की जलपरी को काफ़ी रहस्यमयी बताया गया था. कंपनी के फ़ाउंडर्स ने इसका लुक को काफी पसंद आया और इससे प्रेरित होकर ही स्टारबक्स का लोगो बना.

Starbucks का समुद्र से कनेक्शन

सवाल ये भी है कि आख़िर समुद्र से Starbucks का ऐसा क्या कनेक्शन है कि एक मायथोलॉजिकल कैरेक्‍टर को इसके लोगो पर जगह मिल गई? दरअसल, स्‍टारबक्‍स का पहला स्‍टोर अमेरिका के सिएटल में खोला गया. ये समुद्र तट के किनारे पर बसा हुआ है.

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फ़ाउंडर्स का मानना था कि हमारे शहर का पानी से खास कनेक्‍शन है. उस दौर में कॉफी को सिएटेल तक पहुंचने के लिए काफ़ी लंबी दूरी समुद्र में तय करनी पडती थी. आज भी बड़े-बड़े जहाजों के ज़रिए ये इंपोर्ट की जाती है. इस समुद्री कनेक्शन की वजह से उस जलपरी को विशेषतौर पर लोगो में शामिल किया गया.

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