एक ज़िंदा इंसान जिसे तैरना न होता हो, अगर वो पानी में उतर जाए तो कुछ ही पल में डूबने लगता है. लाख कोशिशों के बावजूद वो पानी के ऊपर नहीं आ पाता. मगर वहीं, एक मृत शरीर बिना किसी प्रयास के आसानी से पानी पर तैरता रहता है. ऐसे में ये सवाल उठना लाज़मी है कि आख़िर ऐसा क्यों होता है?
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तो आइए आज इसी सवाल का जवाब जानने की कोशिश की जाए.
पहले समझें कि कोई चीज़ पानी पर तैरती कैसे है
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इसके पीछे साधारण सा विज्ञान है. जिस चीज़ का घनत्व पानी से ज़्यादा होगा, वो चीज़ पानी में डूब जाएगी. अगर इंसान अपने घनत्व से ज़्यादा पानी को हटा पाता है, तो वो तैरता रहता है, लेकिन जब इंसान या फिर कोई भी चीज़ अपने भार के बराबर पानी नहीं हटा पाती, तो वो डूब जाती है.
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तो फिर शव पानी पर कैसे तैरता है?
पानी में डूबने पर इंसान के फेफड़ों में पानी भर जाता है और उसकी मौत हो जाती है. मरने के बाद शरीर पानी की सतह पर उतराने लगता है. हालांकि, तुरंत ऐसा नहीं होता. बल्कि पहले वो डूबता ही है. वो तब तक डूबता है, जब तक पानी की सतह तक नहीं पहुंच जाता.
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अब होता ये है कि मरने के बाद इम्यून सिस्टम काम करना बंद कर देता है. शरीर डीकंपोज़ होना शुरू हो जाता है. बैक्टीरिया मृत शरीर की कोशिकाओं और ऊतकों को समाप्त करना शुरू कर देते हैं. शरीर के सड़ने की इस प्रक्रिया में शरीर में मौजूद मीथेन, अमोनिया, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन जैसी गैसों का शरीर में बनना और बाहर निकलना शुरू हो जाता है.
अंदर गैस पैदा होने से मृत शरीर पानी में फूलने लगता. जिस वजह से शरीर का आयतन बढ़ता है और घनत्व कम हो जाता है. जैसे ही शरीर का घनत्व पानी से कम होता है, वो धीरे-धीरे सतह पर आने लगता है. सीधे शब्दों में कहें तो जब मृत शरीर का भार पानी से कम हो जाता है, तो वो सतह पर उतराने लगता है.
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गर्म और ठंडे पानी का भी इस पर होता है असर
एक मृत शरीर कितने दिन में पानी की सतह पर आएगा, ये पानी के तापमान पर निर्भर करता है. गर्म पानी में शरीर के अंदर गैसें तेज़ी से बनती हैं. ऐसे में शरीर 24 से 48 घंटे में सतह पर आ सकता है. वहीं, ठंडे पानी में शरीर की सड़ने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है. इस स्थिति में एक शरीर को सतह पर आने में हफ़्ताभर भी लग सकता है.
उम्मीद है कि अब जान चुके होंगे कि एक मृत शरीर पानी पर कैसे तैरता है.