बचपन में स्कूल जाने से पहले या फिर छुट्टियों में मम्मी-पापा से एक रुपये की डिमांड करते थे. वो मिल जाने पर इतनी ख़ुशी होती थी जितनी आजकल सैलरी आने पर होती है. अर भई, उस एक रुपये से हम खट्टी-मीठी ख़ुशियों का ख़ज़ाना जो ख़रीदते थे.

‘किसमी बार’, ‘बूमर’, ‘गुरु चेला’, ‘लेमनचूस’, ‘संतरे की टॉफ़ियां’ और न जाने क्या-क्या. आ गई न बचपन की याद? ख़ैर, इन सब के अलावा एक और फ़ेवरेट कैंडी होती थी जिसे पाकर हम ख़ुश हो जाया करते थे वो है लॉलीपॉप(Lollipop). आजकल चुपाचुप्स वाली लॉलीपॉप का ज़माना है पर पहले अलग-अलग ब्रैंड्स की रंग-बिरंगी लॉलीपॉप आती थी वो भी भिन्न-भिन्न फ़लेवर्स में. 

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Cadbury की चॉकलेट वाली लॉलीपॉप तब लेते थे जब घरवाले चॉकलेट नहीं लाते थे. इनको दिन भर खाते हुए खेलते रहते थे, लेकिन जब भी हम लॉलीपॉप खाते थे तब एक सवाल ज़रूर दिमाग़ में आता था. वो ये कि आख़िर लॉलीपॉप की स्टिक खोखली क्यों होती है? आपके इसी सवाल का जवाब आज हम आपके लिए लेकर आए हैं. 

लॉलीपॉप की छड़ी खोखली क्यों होती हैं?

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ऐसा क्यों होता है इसके दो कारण हैं. पहला इसकी मैन्युफ़ैक्चरिंग यानी निर्माण से जुड़ा है. लॉलीपॉप बनाने वाले लोग इस स्टिक के खोखले हिस्से में भी कैंडी पिघलाकर डालते हैं. ताकी कैंडी अगर स्टिक पर न चिपके तो उसके सहारे टिकी रहे. ये उसे गिरने से बचाती है. कुछ लोग इसके ऊपरी हिस्से में भी एक छोटा-सा छेद कर देते हैं. उसका भी कारण यही होता है. 

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दूसरा आपकी सुरक्षा से जुड़ा है. अगर कोई बच्चा ग़लती से इस स्टिक को भी खा जाए या फिर निगल ले तो उसकी जान पर बन सकती है. ऐसा न हो इसलिए इसमें छेद होता है, ताकि गला चोक होने पर भी उस छेद के ज़रिए सांस चलती रहे. ये इस ख़तरनाक स्थिति से बचने के लिए ही बनाया जाता है.

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