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एक लाल रंग की Wavelength क़रीब 650 NM होती है. साथ ही, लाल रंग बिखरता नहीं है. ऐसे में इस लाइट को दिन की रौशनी में भी दूर से देखा जा सकता है. यही वजह है इसका इस्तेमाल ख़तरे को दर्शाने के लिये भी होता है. अब इसी तरह स्कूल बस के लिये पीले रंग के इस्तेमाल के पीछे भी उसकी वेवलेंथ ही असली वजह है.
दरअसल, रंगों का VIBGYOR सात रंगों का गठजोड़ होता है, जिसमें बैंगनी, आसमानी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल रंग शामिल है. इसमें वेवलेंथ के मामले में पीला रंग, लाल रंग के नीचे आता है. यानि पीले रंग की वेवलेंथ लाल से कम होती है, मगर नीले रंग से ज़्यादा होती है.
अब चूंकि लाल रंग का पहले ही ख़तरे के तौर पर इस्तेमाल हो चुका था. ऐसे में उसके बाद पीला ही सबसे बढ़िया रंग था, जिसे स्कूल बस के लिये इस्तेमाल किया जा सकता था. इसके अलावा पीले रंग की एक और ख़ासियत है. पीला रंग बारिश, कोहरे और ओस में भी देखा जा सकता है. क्योंकि इसकी लैटरल पेरीफ़ेरल विज़न लाल रंग की तुलना में 1.24 गुना ज़्यादा होती है.
लैटरल पेरीफ़ेरल विज़न का मतलब है कि जिसे किनारे या अगल-बगल में भी आसानी से देखा जा सके. मसलन, अगर कोई व्यक्ति सीधे नहीं देख रहा है, तो भी उसे पीले रंग की बस सामने से आती दिख जाएगी. ऐसे में स्कूल बस का पीला रंग होने से हाईवे पर दुर्घटना होने की संभावना कम रहती है.
बता दें, भारत में भी सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल बसों के लिये कई तरह के निर्देश दिये हैं, जिसमें उसे पीले रंग से रंगना भी शामिल है. अगर स्कूल कैब हो तो पीले रंग के साथ 150 एमएम की हरी पट्टी रंगी होनी चाहिए. हरी पट्टी कैब के चारों ओर बीच में रंगी होनी चाहिए. पट्टी पर स्कूल कैब लिखना ज़रूरी है.