आपने ये बात तो सुनी ही होगी कि लोग भले ये न याद रखें कि आपने उनसे क्या कहा या आपने क्या किया, मगर वो ये ज़रूर याद रखते हैं कि आपने उनको कैसा महसूस कराया. तो फिर क्यों न उन्हें हमेशा अच्छा महसूस करवाएं. थोड़ा दयालु हो कर, लोगों की मदद कर के. 

मुझे लगता है दयालु होना या काइंड होना सबके बस की बात नहीं है. आप ख़ुद ही देखिये आपके आस-पास आजकल कितने ही लोग हैं जो लोगों कि मदद करते हैं या अपने अलावा दूसरों के बारे में सोचते हैं. तो ऐसे में जब भी लोग किसी को दूसरे की मदद करते पाते हैं तो वो अधिकतर ख़बर का हिस्सा बन जाता है. 

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हमको इस बात का एहसास नहीं होता मगर हो सकता है कि हमारी छोटी सी मदद सामने वाले व्यक्ति के लिए बहुत बड़ी हो.

यहां बात सिर्फ़ दूसरों के प्रति दयालु होने की नहीं है, आप का ख़ुद के प्रति भी दयालु होना बेहद ज़रूरी है. कई बार ऐसा होता है कि हुमारी खुद से कुछ उमीदें होती हैं और जब वो पूरी नहीं होती हैं तब हम अपने आप पर बेहद कठोर हो जाते हैं. ऐसे में ध्यान रखने की ज़रूरत है कि हम परफ़ेक्ट नहीं हैं. 

दयालु होना एक इंफेक्शन की तरह हैं. आप जिसकी मदद करते हो वो तो ख़ुश हो ही जाता है साथ-साथ आप भी हो जाते हैं. मगर, क्या अपने कभी सोचा है कि लोगों की मदद करने पर हमें क्यों एक तसल्ली या ख़ुशी मिलती है? 

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दयालु होना एक इंफेक्शन की तरह हैं. आप जिसकी मदद करते हो वो तो ख़ुश हो ही जाता है साथ-साथ आप भी हो जाते हैं. मगर, क्या अपने कभी सोचा है कि लोगों की मदद करने पर हमें क्यों एक तसल्ली या ख़ुशी मिलती है? 

कई रिसर्चर्स का मानना है की लगातार दूसरों की मदद करने से शरीर में बनने वाले रसायनों की वजह से हम डिप्रेशन, परेशानी, चिंता से दूरी रखने में सक्षम हो सकते हैं.

आख़िर, हर इंसान जीवन में किसी न किसी चीज़ से लड़ रहा होता है ऐसे में हमारी छोटी सी मदद या प्यार दिखाने का ये छोटा सा भाव उसके जीवन को ज़्यादा तो नहीं पर थोड़ा भी बेहतर बना दे तो इसमें बुरा क्या है. Be Kind !