इस दुनिया में लोग तरह-तरह के अंधविश्वास मानते हैं. इनमें से ज़्यादातर लोग पढ़े-लिखे नहीं होते. हालांकि, बहुत से शिक्षित लोगों में भी वैज्ञानिक सोच की कमी देखी जाती है. तमाम टोने-टोटके वो भी अपनाते हैं. मगर हैरानी तब होती है, जब वैज्ञानिकों में ही वैज्ञानिक सोच ग़ायब हो जाए और वो भी अंधविश्ववासों को मानने लगें. 

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एक ऐसा ही अंधविश्वास दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी NASA (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) के वैज्ञानिकों में भी है. नासा के वैज्ञानिक अपने मिशन की सफलता के लिए मूंगफली खाते हैं. जी हां, ऐसा क्यों और कैसे शुरू हुआ, आज हम आपको इसी के बारे में बताएंगे. 

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जब 6 बार मिशन में फ़ेल होने के बाद NASA को मिली सफ़लता

मिशन से पहले मूंगफली खाने की शुुरुआत 1960 के दशक में हुई. बताया जाता है कि 1960 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का रेंजर मिशन 6 बार फ़ेल हो गया. इस मिशन के तहत एक स्पेस्क्राफ़्ट चांद पर भेजना था और फिर चंद्रमा की तस्वीरेंं लेनी थीं. इसके बाद जब 7वीं बार मिशन में सफलता मिली, तो पाया गया कि लैब में बैठा एक वैज्ञानिक मूंगफली खाने में लगा हुआ था.

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सभी को लगा कि इस मिशन की सफ़लता के पीछे मूंंगफली का ही हाथ है. तब से ही ये प्रथा चल पड़ी और नासा वाले जब भी किसी मिशन को लॉन्‍च करते हैं तो जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) में मूंगफली ज़रूर खाते हैं. 

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मंगल मिशन के दौरान NASA ने ISRO को भी भेजी थी मूंगफली

रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO के मंगल मिशन से पहले NASA ने गुड लक के तौर पर मूंगफली भेजी थी. नासा के साइंटिस्टों ने मूंगफली को लॉन्चिंग के दौरान खाने के लिए कहा था. NASA वैज्ञानिकों का मानना है कि मूंंगफली शुभ है और इससे मिशन में आने वाली रूकावटें दूर होती हैं. 

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बता दें, दुनियाभर के वैज्ञानिकों में इस तरह के अंधविश्वास पाए जाते हैं. मसलन, रूसी कॉस्मोनॉट्स स्पेसक्राफ्ट्स पर चढ़ने से पहले खुद को लॉन्चपैड तक ले जाने वाली बस के दाहिने पहिए पर पेशाब करते हैं. साथ ही, अंतरिक्ष में जाने से पहले रूस में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए गाना भी बजाया जाता है. भारतीय वैज्ञानिक भी हर लॉन्च से पहले तिरुपति बालाजी मंदिर में रॉकेट की पूजा करते हैं और वहां छोटा सा रॉकेट का मॉडल भी चढ़ाते हैं. ऐसे ही बहुत से अंधविश्वास हैं, जो इन स्पेस एजेंसियों के वैज्ञानिकों द्वारा माने जाते हैं.