Constitution Of India: कोई भी देश और उसकी शासन व्यवस्था एक निर्धारित संविधान के आधार पर काम करती है. इस संविधान का उल्लंघन करने वाला सज़ा का पात्र होता है. ये संविधान किसी के ख़िलाफ़ जाता है तो किसी के साथ, लेकिन वक़्त के हिसाब से हर देश का संविधान नहीं बदलता है. अगर एक बार लिख दिया गया तो वो लिख दिया गया. ऐसा ही एक संविधान भारत देश के लिए भी 26 नवंबर 1949 को निर्धारित हुआ था. इसके अंतर्गत शासन की संस्थाएं, क़ानून निर्माण, न्याय प्रदत्त करने, कानून लागू करने की प्रक्रियाओं की व्यवस्था और उनमें आपस में संबंधों की व्याख्या की गई है.

हमारे देश का संविधान (Constitution Day of India) दुनिया का सबसे लंबा संविधान माना जाता है, लेकिन इसे उधार का संविधान (Borrowed Constitution) भी कहा जाता है. भारतीय संविधान को पूर्ण रूप से तैयार करने में 2 साल, 11 महीने, 18 दिन का समय लगा था. इसे लिखने के लिए 299 सदस्यों की समिति का गठन किया गया था, जिसकी अध्यक्षता प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने की थी.

आख़िर ऐसा क्यों है, जिस देश का संविधान हर जगह चर्चा में रहता है वो उधार का कैसे हुआ और क्यों?
Constitution Of India
ये भी पढ़ें: Constitution Day: इन 14 ऐतिहासिक फ़ोटोज़ में देखिये भारतीय संविधान बनने की कहानी
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कहा था,
भारतीय संविधान को उधार का संविधान कहा जाता है क्योंकि इसकी विशेषताएं कई देशों के संविधानों से ली गई हैं. और डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने ठीक ही कहा था कि, ये दुनियाभर में ज्ञात संविधानों को तोड़-मरोड़ कर बनाया गया था.
भारतीय संविधान को टाइप नहीं किया गया है, बल्कि ये हाथों से लिखा गया है, जिसे हिंदी और अंग्रेज़ी में प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा ने लिखा था. इसकी 448 धाराएं हैं जिन्हें 25 भागों में विभाजित किया है, इसकी 12 अनुसूची हैं, 5 परिशिष्ट और 105 संशोधन हैं. इसीलिए ये दुनिया का सबसे लंबा संविधान है. भारतीय संसद की लाइब्रेरी में भारत देश के संविधान की असली कॉपी को हीलियम से भरे पारदर्शी बक्से में रखा गया है.

इस देश के संविधान के कई हिस्से ब्रिटिश शासन के Government Of India Act 1935 से लिए गए हैं, जो कोई चोरी नहीं थी, बल्कि पूरी तरह से सोच विचार के प्रस्ताव तैयार किया गया था. इस संविधान में भारतीयों को शासन प्रक्रिया में शामिल करेन का प्रयास किया गया था ताकि, भारतीयों को अंग्रज़ों की मांगों से आज़ाद किया जा सके. और ये संविधान भारत में बहुत बड़ी व्यवस्था लाने वाला क़ानून माना जाता है.

इससे भारतीय संविधान में गणराज्य व्यवस्था (Federal Scheme), गर्वनर का ऑफ़िस (Office of Governor), न्याय व्यवस्था (Judiciary), लोक सेवा आयोग (Public Service Commissions), आपातकालीन प्रावधान (Emergency Provisions) और प्रशासनिक विवरण (Administrative Details), शामिल किए गए.

Government Of India Act 1935 के अलावा ब्रिटेन से भारतीय संविधान में द्विसदनीय संसदीय शासन व्यवस्था अपनाई गई है. साथ ही, भारत का प्रधानमंत्री, लोकसभा का शक्तिशाली होना, कैबिनेट व्यवस्था और लोकसभा का स्पीकर भी ब्रिटेन के संविधान से ही लिया गया है. हमारे देश के राष्ट्रपति के पावर भी ब्रिटेन के महारानी और महाराजा के पावर के समान ही है. देश का राष्ट्रपति हर तरह से प्रतिनिधित्व करता है और देश के सभी कामों में योगदान देता है. इसके अलावा, एकल नागरिकता, क़ानून का शासन और कुछ प्रावधान भी अंग्रेज़ी संविधान से लिए गए थे.

ये भी पढ़ें: भारतीय संविधान से जुड़े 12 रोचक तथ्य, जो हर एक भारतीय को पता होने चाहिए
इसके बाद, आयरलैंड के संविधान से राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के सदस्यों का नामांकन और राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया ली गई है. इसके अलावा, आयरलैंड से नीति निर्देशक तत्व लिए गए हैं, जिन्हें आयरलैंड ने स्पेस से लिया था. साथ ही, अमेरिकी संविधान से राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्य, सुप्रीम और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की निलंबन प्रक्रिया, मूल अधिकार, न्यायिक स्वतंत्रता और राज्यों की व्यवस्था ली गई थी.