साल 2021 ख़त्म होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं. इससे पहले लोग ‘क्रिसमस’ की तैयारियों में लगे हुए हैं. हमेशा की तरह 25 दिसंबर को दुनियाभर में क्रिसमस डे (Christmas Day) मनाया जाता है. ईसाई समुदाय के लोग इसे यीशू मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं. लेकिन भारत में भी अब हर धर्म के लोग ‘क्रिसमस’ का त्यौहार मनाते हुये नज़र आ जायेंगे.

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बताया जाता है कि 360 ईस्वी के आस-पास रोम के एक चर्च में पहली बार ईसा मसीह के जन्मदिन का समारोह मनाया गया था. क्रिसमस के मौके पर ‘सेंटा क्लॉज’, क्रिसमस ट्री’ और ‘रम केक’ की अहमियत तो आप अच्छे से समझते ही होंगे, मगर क्या आपने कभी सोचा है कि इस दौरान Mulled Wine पीने का चलन कब और कहां से शुरू हुआ और ये ‘Mulled Wine’ आख़िर है क्या चीज़?

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चलिए आज आपको इसके पीछे की पूरी कहानी समझाते हैं-

दरअसल, सदियों पहले से ही यूनानियों को शराब बर्बाद करने से नफ़रत थी. वो इसकी आख़िरी बूंद तक ख़त्म करने में विश्ववास रखते थे. सैकड़ों साल पहले वो इसी बची हुई शराब को ठंड के मौसम तक बचाने के लिए इसमें मसाले डालकर गर्म करते थे. इस शराब को उन्होंने ‘हिप्पोक्रैस’ नाम दिया था. इसका नाम ग्रीक इतिहास के सबसे बेहतरीन फ़िजिशियन ‘हिप्पोक्रेटीस’ के नाम पर रखा गया था.

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सर्दियों में ही क्यों पी जाती है? 

नॉर्मल वाइन के विपरीत मयूल्ड वाइन (Mulled Wine) को गर्म करके परोसा जाता है. गर्महाट के लिए इसमें कई तरह के मसाले डाले जाते हैं. इसे Spiced Wine भी कहते हैं. दरअसल, इस Red Wine को ख़ास तरह के मसाले और कभी-कभी किशमिश से तैयार किया जाता है. इसमें एल्कोहल की मात्रा होती है, लेकिन बिना एल्कोहल के भी Mulled Wine बनाई जाती है. गर्म होने की वजह से इसे सर्दियों में ख़ूब पिया जाता है.

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क्रिसमस के दिन क्यों पी जाती है? 

इसके पीछे भी कई कहानियां प्रचलित हैं, लेकिन इतिहासकारों के मुताबिक़, रोम में ही सबसे पहले दूसरी शताब्दी के दौरान सर्दियों के मौसम में शराब के संकेत मिले थे. इस दौरान रोम के लोगों को वाइन को गर्म करके पीने से ठंड से राहत मिलती थी. इसलिए वो अक्सर ऐसा किया करते थे. लेकिन बाद में इसे लंबे समय तक रखने के लिए इसमें मसालों का इस्तेमाल किया जाने लगा.

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इसके बाद यूरोपीय लोगों ने अतिरिक्त मिठास के लिए इसमें जड़ी बूटी और फूलों का रास मिलाना आरंभ कर दिया. चूंकि इसे सर्दियों में पिया जाता था इसलिए धीरे-धीरे इसे ‘क्रिसमस’ के दौरान पिया जाने लगा. इसके बाद लोगों की ये आदत हमेशा के लिए एक परम्परा में तब्दील हो गई.आज ये एक ‘क्रिसमस’ का एक प्रमुख ट्रेडिशन बना गया, जिसे हर कोई फॉलो कर रहा है. भारत में ये वाइन अंग्रेज़ों के साथ आई और ‘क्रिसमस’ के दिन भारत में भी इसे पिया जाता है. 

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