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मक्खियों को घर, खिड़की, दरवाज़े का कन्सेप्ट (Concept) नहीं समझ आता. उन्हें अगर कुछ समझ आता है तो वो है लाइट. उदाहरण- अगर किसी कमरे में सफ़ेद रंग की दीवारें हैं तो वो दीवरें काफ़ी सारा लाइट रिफ़्लेक्ट (Reflect) करती है. मक्खी या कोई अन्य कीड़ा यही देखता है और उसकी तरफ़ उड़ जाता है. जब दीवार के पास जाने पर सच्चाई का पता चलता है तो फिर ये कीड़े दूसरे लाइट सोर्स (Light Source) की तरफ़ उड़ते हैं.
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एक अन्य Quora यूज़र के मुताबिक़, मक्खियों की आंखें उतनी विकसित नहीं होती और वो लाइट से काफ़ी डिस्ट्रैक्टेड (Distracted) होती हैं. मक्खियों को कमरे या किसी एन्क्लोज़्ड स्पेस (Enclosed Space) का कन्सेप्ट भी नहीं पता होता. मक्खियों गंध का पीछा करती है. वे हवा या सूरज, चंद्रमा के ज़रिये नैविगेट (Navigate) करती हैं और जब मक्खियां ऐसा नहीं कर पातीं तो वे कन्फ़्यूज़ (Confuse) हो जाती हैं. उनकी आगे की तरफ़ या ऊपर की तरफ़ उड़ने की तरीक़ा भी काम नहीं आता.
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क्लोज़्ड स्पेस (Closed Space) से कई बार कीड़े कन्फ़्यूज़ हो जाते हैं. आमतौर पर उड़ने वाले कीड़े ऊपर की तरफ़ उड़ते हैं लेकिन सीलिंग (Ceiling) उनकी उड़ान को रोकता है और वो फंस जाते हैं. जहां Ceiling रुकावट नहीं बनता वहां Insect Traps, कीड़े खाने वाले पौधे (जैसे- Cobra Plant) बाधा बनते हैं.
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उम्मीद है अब आप समझ गये होंगे कि इन छोटे जीवों को बाहर निकलने में इतनी परेशानी क्यों होती है. यही वजह है कि रात में मक्खियों, मधुमक्खियों को घर से बाहर नहीं निकालना लगभग असंभव ही हो जाता है.