नहा-धोकर, तैयार होकर घर से दफ़्तर के लिये निकले और मस्त-मौला बनकर चले जा रहे हैं कि रास्ते में 2-3 मक्खियों ने परिक्रमा करनी शुरू कर दी. किसी फ़ाइटर प्लेन (Fighter Plane) के जैसे ही कभी दायें से बायें, कभी सीधे सामने से, कभी पीछे से वार पर वार करने लगीं. 

अब हम कोई कुत्ते की पॉटी तो हैं नहीं, ना ही कोई नाली का काला-काला पानी से स्नान किया है जो फिर मक्खियों इस तरह से जीना मुश्किल क्यों करती है? 

Western Exterminator

पूरे यक़ीन के साथ कह रहे हैं कि हर मनुष्य को ये अनुभव ज़रूर हुआ होगा. चाहे कितने भी हाथ मार लो, स्टोल या रूमाल से उड़ा लो दोबारा ये मक्खियां जीवन में सबसे बड़ा रिस्क लेकर उड़ती हुई पहुंच ही जाती हैं. Treehugger के एक लेख की मानें तो मक्खियां इंसानों को पसंद करती हैं! मक्खियों के पसंदीदा भोजन, पॉटी, खाना और सड़ते मांस की तरह ही हम इंसान भी उन्हें पसंद है.  

मक्खियां इंसानों के शरीर पर पसीना, डेड स्किन (Dead Skin), ऑयल (Oil) या कुछ भी जो उनके खाने लायक हो उसे खाने की नीयत से बैठती हैं. The Statesman के एक लेख के अनुसार, मक्खियों का मुंह बेहद सॉफ़्ट, स्पंजलाइक (Spongelike) होता है और ये इंसानों के शरीर पर बैठकर उन्हीं काटती नहीं, बल्कि त्वचा पर पड़ा खाना चूसती हैं.  

हम इंसान कार्बन डायऑक्साइड (Carbon dioxide) छोड़ते हैं और मक्खियां इससे भी आकर्षित होती हैं. इंसानों के शरीर से निकलने वाला हीट (Heat), पसीना और सॉल्ट (Salt) भी मक्खियों को एट्रैक्ट करता है.   

Pest Removal Warrior

Mathrubhumi के एक लेख के मुताबिक़, मक्खियों कुछ इंसानों की बॉडी ओडर (Body Odour) से भी आकर्षित होती हैं. जिस त्वचा पर कम बाल होते हैं, उस पर मक्खियों को उल्टी करने की भी जगह मिल जाती है. सॉलिड फ़ुड (Solid Food) को गिला करने के लिये मक्खियां उस पर उल्टी करती है. मक्खियों पांव से टेस्ट करती हैं, अगर इंसानी त्वचा पर उन्हें खाने का स्वाद आया तो फिर उस स्थान को वो गिला करेंगी और खाना खायेंगी.  
मक्खियों को जानवरों के आंखों के इर्द-गिर्द बैठने पर भी न्यूट्रीशन मिलता है.