ट्रेन को सबसे बड़े और उपयोगी आविष्कारों में से एक माना जाता है. इसके आविष्कार के बाद यात्रा करना काफ़ी ज़्यादा आसान हो गया. भारतीय ट्रेनों की बात करें, तो यहां प्रतिदिन लाखों की तादाद में लोग रोज़ाना सफर करते हैं. यात्रा सुगम और सुरक्षित हो, इसके लिए कई छोटे बड़े इंतज़ाम किये जाते हैं. इनमें ख़ास पटरियों के साथ-साथ विभिन्न चिह्नों का भी प्रयोग किया जाता है. देखा जाए, तो ट्रेन की दुनिया कई छोटे-बड़े रोचक तथ्यों से भरी पड़ी है और इनमें से एक के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि क्यों रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर समुद्र तल से ऊंचाई लिखी होती है.    

समुद्र तल से ऊंचाई  

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अगर आप गौर से देखें, तो पाएंगे कि हर रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर उस स्टेशन की समुद्र तल से ऊंचाई लिखी होती है. जैसे HT Above MSL 79.273 M. वैसे यह यात्रियों के लिए नहीं लिखा जाता है, बल्कि यह ट्रेन को चलाने वाले चालक और गार्ड के लिए ज़रूरी होता है.   

रेल की रफ़्तार के लिए मददगार

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जैसा कि हमने ऊपर बताया कि समुद्र तल से ऊंचाई ट्रेन के चालक और गार्ड के लिए लिखी जाती है. इससे ट्रेन चलाने वाले ड्राइवर को पता चल जाता है कि ट्रेन ऊंचाई वाले स्थान की ओर बढ़ रही है या निचले स्थान की ओर. इससे ट्रेन की स्पीड को नियंत्रित या सही रखने में चालक को मदद मिलती है.  

ट्रेन का इंजन 

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इसके साथ ही ट्रेन के चालक को यह भी मालूम हो जाता है कि उन्हें ट्रेन के इंजन को कितनी पावर सप्लाई करनी है, ताकि ट्रेन आसानी से ऊंचाई वाले स्थान की ओर बढ़ सके.

ज़्यादा पावर सप्लाई   

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निचले स्थान की तुलना में ऊंचाई वाले स्थान के लिए ट्रेन के इंजन को ज़्यादा पावर सप्लाई की ज़रूरत होती है. इसलिए, समुद्र तल से ऊंचाई रेलवे स्टेशन बोर्ड पर लिखी जाती है. वहीं, ट्रेन अगर निचले भाग पर जा रही है, तो ड्राइवर को कितना फ़िक्शन लगाना होगा, यह जानकारी भी ट्रेन चालक को समुद्र तल से ऊंचाई के ज़रिए मिल जाती है.

समुद्र तल का सहारा

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ये तो आपको पता ही होगा कि पृथ्वी गोल है और इस वजह से पृथ्वी की सतह थोड़ी कर्व हो जाती है. इसलिए, धरती की ऊंचाई नापने के लिए एक ऐसे बिंदू की ज़रूरत होती है, जो हमेशा समान रहे. इसके लिए समुद्र तल का सहारा लिया जाता है. समुद्र तल की मदद से सही ऊंचाई की गणना करना बेहद सरल है.