फ़र्ज़ करिये, आप मस्त काम ख़त्म करके कुर्सी से उठे, किचन में जाकर बढ़िया सी चाय बनाने का ख़्याल, आपके चेहरे पर मुस्कान ले आया. उठ कर 2 क़दम ही चले होंगे कि बिस्तर के पाये से पैर की छोटी उंगली टकरा गई!
उफ़्फ़… असहय पीड़ा. चाय की मिट्टी पलीद तो हो गई.
क़सम खा कर कहते हैं कि पैर की किसी भी उंगली में कभी चोट ही नहीं लगती, सबसे छोटी उंगली में ही लगती है और वो दर्द दुनिया के सबसे दर्दनाक दर्द में से एक है! समझ नहीं आता कि बार-बार उसी को चोट क्यों लगती है? दर्द बढ़ते-बढ़ते इतना कैसे बढ़ जाता ही कि मानो अंतिम समय आ ही गया और फिर अचानक दर्द ख़त्म ही हो जाता है?
ज़्यादातर लोगों को ये अनुभव होता है, अगर नहीं होता तो भाई क्या खाते हो?
Self में छपे एक लेख की मानें तो पैर की सबसे छोटी उंगली को देखकर लगता है कि उस पर बिल्कुल भार नहीं होता लेकिन जॉगिंग (Jogging) या वॉकिंग (Walking) करते समय आपके शरीर का दोगुना-तीनगुना तक भार होता है!
Business Insider के लेख के मुताबिक़, छोटी उंगली को शरीर के दोगुना-तीगुना वज़न जितने फ़ोर्स (Force) से किसी सर्फ़ेस (Surface) से हम भिड़ाते हैं! उंगली का सर्फ़ेस एरिया (Surface Area) छोटा है इसलिये एक ही जगह पर तेज़ दर्द होता है.
पैर की उंगलियों में नर्व रिसेप्टर्स (Nerve Receptors) होते हैं. चाहे आपको चोट धीरे से लगे ये ज़ोर से, उंगली से ब्रेन (Brain) तक Nerve Impulse बनता है. इस Nerve Impulse को Sensory Neurons (Nociceptors) Modulate करते हैं और तुरंत ब्रेन तक संदेश पहुंचाते हैं.
NT Foot के एक लेख की मानें तो छोटी उंगली पर चोट लगने पर इतना दर्द होता है मानो उंगली टूट ही गई हो लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि उंगली टूट गई है. अगर दर्द 2-3 दिन तक रहे तो डॉक्टर के पास जाने में ही समझदारी है.
शोधार्थियों के मुताबिक़, हमारे पूर्वजों को इस उंगली की चोट ने ही जीवनदान दिया होगा! उस दौर में गंदगी, बैक्टीरिया, वायरस से सीधे कन्टैक्ट (Direct Contact) में रहते थे पैर. एन्टीबायोटिक (Antibiotic) न होने की वजह से हल्का सा कटना भी मौत का का कारण बन सकता था! तो जिन लोगों के पैर अधिक सेन्सिटिव थे उन्होंने संभलने के चलना-फिरना शुरू किया. इन्फ़ेक्शन (Infection) से बचे और कई वंशज पैदा किये.