भारत देवी-देवताओं का देश है. एक ऐसा देश, जो ख़ुद अपने भगवान बनाता है. अगर किसी चीज़ से हमारी ज़िंदगियां संवरती हैं, तो हम उसकी पूजा करते हैं. मगर दिलचस्प ये भी है कि जो चीज़ें हमें नुक़सान पहुंचाती हैं, हम उन्हें भी पूजते हैं. ऐसा इसलिए कि किसी शक्ति की अगर हमसे नाराज़गी है, तो वो ख़त्म हो जाए. अब इसे आप विश्वास कह लें, या फिर अंधविश्वास, ये आपकी मर्ज़ी है.

एक ऐसा ही डर, देश में चिकन पॉक्स या चेचक को लेकर है. भारत में चिकन पॉक्स को माता कहा जाता है. हमारे-आपके सभी के घरों में इसे माता ही बुलाते हैं. मगर कभी आपने सोचा है कि ऐसा हम क्यों करते हैं?

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पहले जान लें चिकन पॉक्स होता क्या है

चिकन पॉक्स या चेचक एक संक्रामक बीमारी है. संक्रामक यानि जो एक से दूसरे व्यक्ति को हो सकती है. ये बीमारी varicella zoster नाम के वायरस के कारण होती है. इसमें इंसान के शरीर पर लाल रंग के चकत्ते और छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं. कई बार सूखने के बाद भी इंसान के शरीर पर इसके काले निशान बने रह जाते हैं. ये वायरस छोटे बच्चों को जल्दी अपनी चपेट में लेता है. इसलिए साफ़-सफ़ाई पर ध्यान देना ज़रूरी होता है. ताकि ये बीमारी किसी को न हो. अगर हो जाती है, तो और ज़्यादा साफ़-सफ़ाई पर ध्यान देना होता है, ताकि मरीज़ ठीक हो जाए और कोई दूसरा वायरस की चपेट में न आए. 

अगर बीमारी है, तो फिर हम इसे माता क्यों बुलाते हैं?

हम बचपन से ही चेचक को माता सुनते आ रहे हैं. जब भी किसी को ये बीमारी होती है, तो सब यही कहते कि फलाने को माता निकल आई हैं. मगर शायद ही हमने कभी सोचा हो कि ऐसा क्यों कहा जाता है. 

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दरअसल, चेचक को शीतला माता से जोड़ा जाता है. शीतला माता को मां दुर्गा रूप माना जाता है. आप शीतला माता की तस्वीर देखेंगे, तो उसमें आपको उनके हाथ में झाड़ू और पवित्र जल का कलश नज़र आएगा. मान्यता है कि वो इंसानों को सज़ा देने के लिए झाड़ू का इस्तेमाल करती हैं. इससे बीमारियां फैलती हैं. वहीं, जब वो इन बीमारियों को ख़त्म करना चाहती हैं, तो वो पवित्र जल का इस्तेमाल करती हैं. 

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इसे लेकर शास्त्रों में भी एक कहानी है कि ज्वरसुर नाम का एक असुर हुआ करता था, जो बच्चों को तेज़ बुखार देकर मार डालता था. तब माता कात्यायनी ने शीतला माता का रूप धारण कर बच्चों के शरीर में प्रवेश किया. उनके शरीर में प्रवेश करते ही बच्चों के शरीर पर चकत्ते पड़ गए. मगर माता ने अंदर से बच्चों को ठीक कर दिया. तभी से ये माना जाता है कि चेचक होने पर मां खुद मानव शरीर में प्रवेश करती है. इसलिए चिकन पॉक्स को माता कहा जाता है. 

बता दें, शीतला माता के कोप से बचने के लिए शीतला अष्टमी भी मनाई जाती है. इस दिन घरों में गरम खाना नहीं पकाया जाता है और लोग माता की पूजा करने के बाद एक दिन पहले का बासी खाना ही खाते है. ताकि शीतला माता को प्रसन्न किया जा सके, और बीमारियों उनके घर से दूर रहें.