शर्म एक इंसानी इमोशन है, जो ये बताता है कि एक इंसान लोगों के बीच रहने पर कैसा बर्ताव करता है. जब भी हम नए लोगों के बीच होते हैं तो शुरू में हमें उनसे बात करने में बेहद ही शर्म आती है.

शर्माना एक ऐसा भाव है जो तब आता है जब हम असहज, घबराए, आत्म-जागरुक या किसी भी चीज़ को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं. जब हमें शर्म आती है तो शारीरिक तौर पर हमारे गाल लाल हो जाते हैं, हम बोलने में ख़ुद को असमर्थ पाते हैं, कभी-कभी कांपने भी लगते हैं.   

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नए लोग या अंजान हालात अधिकतर हमारे शर्माने का कारण होता है. जैसे, स्कूल का पहला दिन, नए लोगों से मुलाक़ात या बहुत सारे लोगों के सामने पहली बार बोलना.   

बाक़ी भावनाओं की तरह ही शर्म सबको आती है बस कुछ फ़र्क इतना है कि कुछ लोग ज़्यादा शर्माते हैं तो कुछ लोग कम. कुछ लोगों के जीन्स ऐसे होते हैं या फ़िर जीवन के अनुभव उन्हें ऐसा बना देते हैं.   

अगर आप अपने दिमाग़ में झांकेंगे तो जानेंगे कि ये शर्म हमारे डर से जुड़ी है. मगर ये डर किसी भी मात्रा में वैसा डर नहीं होता है जो आप तब महसूस करते हैं जब आपकी जान पर बन आती है. बल्कि ये बेहद ही कम मात्रा का डर होता है. शर्म को हमारे दिमाग़ का एमिग्लाडा हिस्सा कंट्रोल करता है. जैसी ही कोई असहजता महसूस होती है हमारे दिमाग़ का ये हिस्सा तुरंत एक्टिवेट हो जाता है. 

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पर रिसर्चर्स का ये भी मानना है कि यदि आप बहुत शर्माते हैं तो ये आपके लिए अच्छा नहीं है. इससे आपका आत्म-विश्वास काम हो जाता है और लोगों से बात करने में आपको घबराहट होने लगती है. क्योंकि ज़्यादा शर्माने से हम अधिकतर नए मौके और अनुभव गंवा बैठते हैं. 

ज़्यादा शर्म कई बार सोशल फ़ोबिया का रूप ले लेता है. जो कि बिलकुल भी अच्छा नहीं होता है. मगर ये इतना भी गंभीर नहीं है इंसान आसानी से इससे उभर सकता है. तो अगर आप भी ज़्यादा शर्माते हैं तो परेशान मत हों छोटे-छोटे क़दम लें आपका शर्माना कम हो जाएगा.