हर ऑफ़िस में लंच के बाद का सीन सेम ही होता है 

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Perfect Gentleman

कुछ याद आया? लंच लाइट करो या हेवी, नींद आती ही है. उबासियों का दौर चलता है और उंघने की प्रतियोगिता और कॉफ़ी या चाय के बिना गुज़ारा नामुमकिन सा लगता है.


आख़िर ऐसा होता क्यों है? 

एक रिपोर्ट के अनुसार, लंच के बाद नींद आना नॉर्मल है. कुछ लोगों को लगता है कि ऐसा खाने की वजह से होता है. और कुछ लोगों को लगता है कि ब्लड फ़्लो ब्रेन से शिफ़्ट होकर पेट की तरफ़ हो जाता है ताकी हज़म करने में मदद मिले. सुनने में ये काफ़ी अजीब नहीं है? क्योंकि अगर ऐसा होता तो सुबह और रात के भोजन के बाद भी नींद आती.  

The Jakarta Post

कुछ लोग इस बात की भी क़वायद करते हैं कि खाने में कुछ ऐसे Elements होते हैं जिससे नींद आती है. जैसे- काफ़ी कम मात्रा में Melatonin. वैसे तो Melatonin हमारे नींद की टाइमिंग के लिए ज़रूरी है पर खाने में मौजूद Melatonin का हमारी नींद पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.


कुछ खाने-पीने की चीज़ों से नींद आती है. जैसे-एल्कोहल वगैरह.  

हक़ीक़त में खाने के बाद नींद आने का खाने से कोई ताल्लुक़ नहीं है बल्कि ये लोगों की सोने की प्रवृत्ति पर निर्भर करता है. 


इसके पीछे 2 Phenomena हैं- 

* Homeostatic Sleep Drive- ब्रेन में Adenosine केमिकल के Build up की वजह से ये स्लीप ड्राइव होती है. सोने से पहले ये शीर्ष पर पहुंचती है पर ये दोपहर में भी शीर्ष पर होती है.  

जो व्यक्ति जितना जागता है उसके अंदर Adenosine की मात्रा उतनी ज़्यादा होती है. 

* Circadian- ये Alerting Signal का पैटर्न है. ये हमें जगाए रखने के लिए पूरे दिन बढ़ता रहता है और Adenosine के लेवल को Counter करता है. दोपहर के वक़्त इसमें ज़रा सी कमी आती है और इस वजह से आप नींद आने लगती है. 

वैसे तो दोपहर की नींद के कई एक्सप्लेनेशन हैं पर कई बार रात में ढंग से नींद न आना भी इसकी वजह होती है.