आपने महसूस किया होगा कि जब भी आप किसी बेहद ही भीड़-भाड़ वाली जगह पर होते हैं, किसी इंटरव्यू में या फिर स्टेज़ पर बहुत लोगों के सामने जाने से पहले आपका मन बैचेन सा होने लगता है, दिल की धड़कन तेज़ होने लगती है यानी घबराहट होने लगती है. 

हम सबका जीवन बहुत ही जटिल होता है. स्कूल, दफ़्तर, फैमिली, पैसे, मीटिंग्स और न जाने क्या-क्या. इतनी सारी चीज़ें हमारे दिमाग में एक साथ चलती रहती हैं कि हम अधिकतर अपनी दिन में एक न एक बार घबरा ही जाते हैं. 

घबराहट एक ऐसा भाव है जिसके बारे में आपको पहले एहसास नहीं होगा. आपको अचानक से घबराहट होगी. एक बुरे सपने से रात को आपका झटके से अचानक उठ जाना ही घबराहट है. 

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कई बार लोग डर और घबराहट को एक ही मान लेते हैं. मगर, वास्तव में घबराहट और डर दोनों ही अलग है. घबराहट हमेशा एक अटैक की तरह आता है और 5-10 मिनट में सब सही हो जाता है. वहीं दूसरी ओर, डर लम्बे समय तक रहता है और ऐसे में हमारी रक्षात्मक प्रतिक्रिया भी एक्टिवेट हो जाती है. डर, घबराहट के मुक़ाबले एक ज़्यादा संवेदनशील भाव है. 

मगर कई साइंटिस्ट्स का मानना है कि घबराहट अच्छे के लिए होती है. क्योंकि अगर कोई खतरे की स्थिति उतपन्न होने के ज़रा से भी आसार होते हैं तो इस घबराहट के ज़रिए आपका शरीर तुरंत सचेत हो जाता है. 

घबराहट के समय में हमारे ख़ून में एड्रेनलिन (Adrenalin) नाम के रसायन का रिसाव बढ़ जाता है. ये रसायन बॉडी को तुरंत हाई अलर्ट पर कर देता है. हमारे दिल की धड़कने बढ़ने लगती है, हाथों में पसीना आने लगता है, हमारी सोचने-समझने की शक्ति और तेज़ हो जाती है, हम ज़्यादा सांस लेने लगते हैं. 

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और ये सब बॉडी में अचानक से होता है और आम तोर पर 10 मिनट तक इसका प्रभाव रहता है.   

ख़ैर, दिन में अधिक बार घबराहट या पैनिक अटैक आने पर आपको डिसऑर्डर भी हो सकता है. तो यदि आप ज़्यादा तकलीफ़ सेह रहे हैं तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं.