शादी वाले दिन हों, पसंदीदा कॉलेज में एडमिशन मिल गया हो, आपकी पसंदीदा टीम IPL जीत गई हो या फिर आपने बहुत ही मज़ेदार बिरयानी खा ली हो…

Fatherly से बातचीत में मनोवैज्ञानिक, Oriana R Aragon ने कहा कि मन में सकारात्मक भावनाएं होने के बाद भी लोगों की शक्ल पर नकारात्मक एक्स्प्रेशन दिखते हैं. Aragon ने 2015 में Happy Tears पर स्टडी की और ये पाया.

Psychology Today कि एक रिपोर्ट के अनुसार, दिमाग़ में स्थित Hypothalamus ख़ुशी या ग़म, टेंशन या ओवरएक्साइटमेंट के बीच फ़र्क नहीं कर पाता. Hypothalamus के पास Amygdala से Neural Signal जाता है और उसे सिर्फ़ ये पता होता है कि उसे Autonomic Nervous System (Involuntary Nervous System) एक्टिवेट करना है.

Sympathetic Nervous System हमारे शरीर को स्ट्रेस के दौरान मोबिलाइज़ करता है. इसीलिए हमारे दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं, हमें पसीने आने लगते हैं और कुछ लोगों को तेज़ भूख लगने लगती है.

Miceli और Castelfranchi की एक थ्योरी कहती है कि इमोश्नल आंसू लाचारी या कुछ न कर पाने की सूरत में आते हैं. चाहे वो Frustration से हो या किसी ख़ुशखबरी पाने से हो. ये अपने आस-पास के अंकन्ट्रोल्ड सिचुएशन की ओर एक तरह का रिफ़्लेक्स रेस्पॉन्स है.