सन 1994 में आई फ़िल्म ‘द जुरासिक पार्क’ लोगों के दिलों-दिमाग पर छाप छोड़ने में कामयाब रही थी. इस फ़िल्म की खास बात थी कि इसमें संरक्षित कीटों से निचोड़े गए डीएनए (DNA) द्वारा वैज्ञानिकों ने डायनासोरों के क्लोन को तैयार किया था.
कुछ इसी तरह की तकनीक को हॉर्वर्ड के वैज्ञानिक हकीकत में बदलने जा रहे हैं. दरअसल, अपने अस्तित्व के खात्मे के 4000 सालों बाद प्राचीन हाथी यानि Woolly Mammoth एक बार फिर 21वीं सदी में धरती पर कदम रख सकते हैं.
हॉर्वर्ड के वैज्ञानिकों की एक टीम पिछले दो सालों से एक डीएनए एडिटिंग तकनीक पर काम कर रही है, ताकि प्राचीन हाथियों का निर्माण किया जा सके. इस टीम का लक्ष्य एक ऐसा हाइब्रिड भ्रूण तैयार करना है, जो इन प्राचीन मैमोथ और आधुनिक हाथियों के डीएनए से तैयार हो सके. वैज्ञानिकों का दावा है कि वे सफलता के बेहद करीब हैं और अगले दो सालों में वे इस भ्रूण को बनाने में कामयाब होंगे.
इसके बाद इस भ्रूण को किसी असली हाथी की कोख में सुरक्षित रखा जाएगा या फिर किसी कृत्रिम कोख में रखा जाएगा. हालांकि, इसे हाथी की कोख़ में रखना एक तरह से क्रूरता होगा इसलिए कृत्रिम कोख़ के इस्तेमाल की ही ज़्यादा संभावना है.
गौरतलब है कि हाथियों के जीन को इस दौरान 45 बार एडिट करना पड़ा. वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर वे अपने प्रयासों में कामयाब रहे तो ये जानवर, आधुनिक हाथियों और wolly mammoth का हाइब्रिड होगा.
अगर ये तकनीक सफ़ल होती है तो इस तरीके के द्वारा कई विलुप्त प्रजातियों को वापस लाया जा सकता है. इस तकनीक से वन्य जीवन के संरक्षण में भी खासी मदद मिल सकती है, क्योंकि विलुप्त प्राणियों को पुनर्जन्म देने के लिए अब केवल इनके डीएनए कोड की ही जरूरत पड़ेगी.
गौरतलब है कि ये Woolly Mammoth आधुनिक हाथियों के प्राचीन रिश्तेदार हैं, यही कारण है कि इस प्रयोग के लिए हाथियों का इस्तेमाल किया जा रहा है. अफ्रीकी हाथियों जैसी डील-डौल वाले इन प्राचीन हाथियों के छोटे कान और शरीर पर काफ़ी ज़्यादा बाल हुआ करते थे.
हाथियों की तरह ही ये प्राचीन हाथी शाकाहारी थे और द्वितीय Ice Age के समय ये धरती पर मौजूद थे. माना जाता है कि धरती पर बढ़ते तापमान और मनुष्यों के शिकार पर बढ़ती निर्भरता, इन हाथियों के लुप्त होने का कारण बनी. प्राचीन हाथियों का पुर्नजन्म निश्चित तौर पर जेनेटिक्स की दुनिया में मील का पत्थर साबित हो सकता है.