इराक़ में बेरोज़गारी का बुरा हाल है. बहुत से पढ़े लिखे युवा काम नहीं खोज पाते हैं. इनमें से कुछ युवाओं को हौसला मिला एक अनोखे खेल से. देखिए, कैसे यह खेल बेरोज़गार युवाओं का सहारा बन गया है.
Young Unemployed Iraqis
1. कूद-फांद का रोमांच
दीवारों के ऊपर से कूंदना या छतों को फांद जाना फ़िल्मों के हीरो जिस तरह करते हैं, उससे कहीं बेहतर ये इराक़ी युवा कर लेते हैं.
2. किरकुक में पारकौर
इराक़ के किरकुक शहर में इन युवाओं ने पारकौर के नाम से जाने जाने वाले इस खेल को अपना हौसला बनाए रखने का ज़रिया बना लिया है.
3. शहरों का खेल
पारकौर को लोकप्रियता 1990 के दशक में मिली थी. इसमें शहरी वातावरण के बीच से हवा की तरह गुजर जाना, बाधाओं से कूदना-फांदना और गुलाटियां मारना आदि शामिल होता है.
4. बुरी संगत से बचें
किरकुक के ये युवा इस खेल को टाइम पास का ज़रिया तो बना रहे हैं लेकिन कहते हैं कि इससे घर नहीं चलता. पारकौर धावक सैफ़ बख़्तियार बताते हैं, “मेरे परिवार ने इस खेल के लिए मेरी मदद की. वे ख़ुश थे क्योंकि मेरे जैसे दूसरे लड़के बुरी संगत में पड़कर अपना जीवन बर्बाद कर रहे थे. लेकिन जब मेरा एक दोस्त मर गया तो बहुत से लड़के खेल छोड़ गए.”
5. टूट गया सपना
एक और पारकौर धावक अली मजीद के लिए यह खेल एक सपना है, जिसे वह जीना चाहते हैं. लेकिन वह कहते हैं, “मेरे लिए इस सपने को छोड़ना मुश्किल था. जो भी अपना सपना छोड़ता है, उसे दुख होता है. मैंने एक ट्रेनिंग हॉल के लिए बहुत कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हो पाया. कोई मदद नहीं मिली.”
6. आख़िरी मुकाम, सेना में भर्ती
सुविधाओं और आर्थिक मदद का ना होना इन युवाओं के लिए पारकौर छोड़ने की वजह बन जाता है और बहुत से ऐसे युवा आख़िर में इराक़ की सेना में शामिल हो जाते हैं.
बेरोज़गारी कुछ लोगों को निखार देती है तो कुछ को बेकार बना देती है.