क्या आप भी उन लोगों में से हैं, जो वनीला फ़्लेवर डेज़र्ट को चापने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ते? अगर हां, तो फिर ये जानकारी आप पर बहुत भारी पड़ने वाली है. मतलब, नांक, मुंह से लेकर लीवर तक क़राह उठेगा. आई लव वनीला फ़्लेवर कहने वाले तो अपनी पीठी लेकर दूसरे की कोहनियां ढूंढने निकल पड़ेंगे.

अरे धैर्य रखें, पूरा मामला अभी समझा रहे. दरअसल, बात इतनी है कि अग़र आपको वनीला की एसेंस पसंद है, तो समझ लीजिए कि आपको ऊदबिलाव का पिछवाड़ा सूंघना भी बहुत पसंद आएगा. ग़ुस्सा मत होइए, क्योंकि ये सच है. चलिए आपके लिए पिछवाड़े की जगह अंग्रेज़ी वाले बट्स का यूज़ कर लेते हैं. 

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अब सवाल ये है कि आख़िर हम ऐसा क्यों कह रहे हैं? तो जनाब बात इतनी है कि कुछ कंपनियां वनीला पॉड्स और बीन्स से वनीला अर्क निकालने के  बजाय ‘कैस्टोरेअम’ का यूज़ करती हैं. ये इन्ग्रीडिएंट हक़ीकत में ऊदबिलाव के ‘सैक सेंट ग्लैंड’ से निकलने वाला मल होता है. 

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वनीला, रास्पबेरी और स्ट्रॉबेरी फ़्लेवर में कैस्टोरेअम का इस्तेमाल क़रीब 80 साल से हो रहा है. National Geographic के मुताबिक, कैस्टोरेअम फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) द्वारा अप्रूव है. ऐसे में कुछ लोग इन्ग्रीडिएंट लिस्ट में इसे दिखाते नहीं हैं. सीधा लिखने के बजाय वो इसे ‘नैचुरल फ़्लेवरिंग’ कहते हैं. 

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कैस्टोरेअम का यूज़ फ़्लेवरिंग में कम हुआ है, और अब ज़्यादातर परफ़्यूम में इसका इस्तेमाल होता है. फिर भी हर साल क़रीब 300 पाउंड प्रोड्यूस होता है, जो मार्केट में और शायद आप तक भी पहुंचता ही है. ऐसे में ये मुमकिन है कि जब आप अपनी किसी वनीला फ़्लेवर डिज़र्ट का स्वाद चख कर रहे हों, तो उसमें ऊदबिलाव का टेस्टी मल भी शामिल हो.