इस दुनिया में अलग-अलग सोच वाले लोग रहते हैं. ये ज़रूरी नहीं कि आप किसी बात से सहमत हैं तो दूसरा भी यही सोचता हो. वहीं दूसरी तरफ़ इस दुनिया में कुछ ऐसे मिथक भी मौजूद हैं, जिन्हें हर कोई आंख मूंदकर मान लेता है. वो कभी ये पता लगाने की कोशिश ही नहीं करते, कि ये सही हैं भी या नहीं. इसी कड़ी में आज हम आपको दुनियाभर में प्रचलित कुछ ऐसे ही मिथक और उनकी सच्चाई से मिलवाने जा रहे हैं.
1. ताज़ा फल और सब्ज़ियां VS फ़्रोज़न फल-सब्ज़ी
बहुत से लोगों का ये मानना है कि फ़्रोज़न फल-सब्जी की तुलना में ताज़ा फल और सब्ज़ियों में अधिक पोषक तत्व मिलते हैं, जबकि ये सरासर ग़लत है. वैज्ञानिक ये सिद्ध कर चुके हैं कि फ़्रोज़न फल-सब्ज़ियों में समान मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं.
2. एंटीबॉयोटिक रज़िस्टेंस
कहा जाता है कि मानव शरीर एंटीबॉयोटिक रज़िस्टेंस डेवलप कर सकता है. मगर आपको जानकर हैरानी होगी, कि सिर्फ़ बैक्टिरिया ही ऐसा कर सकते हैं. यही वजह है कि कुछ दिनों बाद एंटीबायोटिक दवा मानव शरीर पर असर करना छोड़ देती हैं.
3. खाना और शराब
कुछ लोग कहते हैं कि शराब पीने से पहले खाना खा लेने से नशा कम होता है,जो कि ग़लत है. खाना शराब को ज़्यादा मात्रा में अवशोषित करता है. पेट भरा होने से आप हो सकता है कम शराब पीएं, लेकिन नशा चढ़ना तय है.
4. फ़िंगर व्रिंकल्स
नहाने के बाद आपके पैर और हाथ की उंगलियों में व्रिंकल्स पड़ जाते हैं. कुछ लोग कहते हैं कि ये उंगलियों द्वारा पानी अवशोषित करने से होता है. ये भी ग़लत फ़ैक्ट है . ऐसा रक्त वाहिकाओं के कारण होता है, जो आपकी त्वचा के नीचे मौजूद होती हैं. ये एक नॉर्मल तंत्रिका तंत्र की प्रतिक्रिया होती है.
5. ज़हर और उल्टियां
कुछ लोगों का मानना है कि ज़हर खा लेने के बाद उल्टी करने से ज़हर कम फैलता है. लेकिन ये सरासर ग़लत है, ऐसा कतई न करें. ऐसा करने से आपके गले में इंफे़क्शन हो सकता है, क्योंकि अधिकतर ज़हर एसिडिक या अल्कलाइन होते हैं, जो आपके गले के लिये हानिकारक होता है.
6. पेनकिलर्स और दर्द
ये बिल्कुग ग़लत फै़क्ट है कि पेनकिलर्स को तब तक नहीं लेना चाहिये जब तक कि आपका दर्द हद से आगे न बढ़ जाए. जानकारों का कहना है कि इन्हें दर्द महसूस होते ही ले लेना चाहिये.
7. मोटापा और पाचन क्रिया
मोटे लोगों का पाचन तंत्र अच्छे से काम नहीं करता, ये भी एक ग़लत फै़क्ट है. डॉक्टरों का कहना है कि मोटे लोगों का पाचंन तंत्र पतले लोगों की तुलना में कहीं तेज़ी से काम करता है.
8. डिम लाइट में पढ़ना
डिम लाइट में पढ़ने से अापकी आंखें ख़राब हो जाएंगी, ऐसा बहुत से लोग मानते हैं, लेकिन ये सही नहीं है. कम रोशनी में पढ़ने से आपको पढ़ने में परेशानी हो सकती है, लेकिन इससे आपकी विज़न पर कोई असर नहीं होगा.
9. दोमुहें बाल और शैम्पू
वैज्ञानिक ये साबित कर चुके हैं कि कोई भी शैम्पू और कंडिश्नर आपके दोमुहें बालों को ठीक नहीं कर सकता. ये सिर्फ़ उन्हें सॉफ़्ट कर देते हैं.
10. पुरुष और सेक्स
अक्सर लोग ये कहते हैं कि पुरुष हर 7 सेकेंड में एक बार सेक्स के बारे में सोचते हैं. लेकिन ये सिर्फ़ एक मिथक है, ऐसा कुछ भी नहीं होता.
11. विटामिन C और बुखार
कुछ लोगों का मानना है कि नींबू और विटामिन C युक्त चीज़ें से बुखार नहीं होता, लेकिन ये सरारासर ग़लत धारण है. विटामिन C रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद तो करता है, लेकिन बुखार होने से नहीं रोकता.
12. चोट को चाटना
कई लोग मानते हैं कि चोट को चाटने से वो जल्द ठीक होती है. लेकिन ये बहुत ही ग़लत धारणा है. ऐसा करने से आपके मुंह में मौजूद बैक्टिरिया घाव तक पहुंच जाते हैं, जो हानिकारक साबित हो सकता है.
13. हार्ट अटैक
अधिकतर लोग मानते हैं कि हार्ट अटैक आने पर छाती में असहनीय दर्द होता है. लेकिन ये भी एक मिथक ही है, क्योंकि ज़्यादातर हार्ट अटैक बिना किसी Symptom के आते हैं.
14. कम तापमान और बुखार
कई लोग कहते हैं कि तापमान के गिरते ही लोगों को बुखार होने लगता है. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. आपको बुखार आपके कमज़ोर इम्यून सिस्टम की वजह से आता है.
15. डिब्बाबंद प्रोडक्ट्स
बहुत से लोग ये मानते हैं कि डिब्बाबंद प्रोडक्ट्स में उतने पोषक तत्व नहीं होते जितने की ऑर्गेनिक फूड में, लेकिन ये भी एक ग़लत धारणा है.
अगर आप भी ऐसे ही किसी मिथक के बारे में जानते हैं, तो कमेंट कर हमसे भी शेयर करें.