बिहार के मुज़फ़्फ़पुर में अक्यूट इंसेफ़लाइटिस सिंड्रोम (AES) या चमकी बुखार ने हाहाकार मचा रखी है. पिछले 16 दिनों में इस बुखार ने करीब 133 मासूम बच्चों की जान ले ली लेकिन इसके बाद भी अब तक समस्या का हल नहीं निकाला जा सका है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुज़फ़्फ़रपुर के स्थानीय अस्पताल श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज व अस्पताल और केजरीवाल हॉस्पिटल में 375 बच्चों को एडमिट कराया जा चुका है. मरने वाले कुछ बच्चे SKMCH के और कुछ केजरीवाल अस्पताल के थे.  

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वहीं मीडिया में मामले को बढ़ता देख रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने SKMCH का दौरा किया. इस दौरान उनके साथ केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे भी मौजूद थे. हर्षवर्धन ने मामले पर चिंता ज़ाहिर करते हुए कुशल उपचार का आश्वासन दिया है. इसके अलावा उन्होंने AES का इलाज करने वाले डॉक्टर्स की सहारना भी की. हालांकि ज़मीनी सच्चाई कुछ और ही है.  

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बिहार के मुख़्यमंत्री नीतिश कुमार बच्चों की मौत पर दुख़ जताते हुए पीड़ित परिजनों को 4 लाख रुपये देने का ऐलान कर चुके हैं, लेकिन इसके अलावा राज्य सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. वहीं NDTV से बातचीत के दौरान डॉक्टर एसके शाही को मॉनसून को इस घातक बिमारी का हल बताया है.  

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इसके साथ ही एक रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि बिहार के स्वास्थ्य अधिकारी भी हीटवेव से जूझ रहे हैं. जिस वजह से अब तक 40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से सबसे ज़्यादा 27 मौतें औरंगाबाद में हुई. वहीं औरंगाबाद के राजकीय अस्पताल के डॉ सुरेंद्र प्रसाद का कहना है कि मौत का ये आंकड़ा आगे बढ़ भी सकता है.  

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मुज़फ़्फ़रपुर की दयनीय स्थिति देखने के बाद हम यही कहेंगे जितना दान मंदिर-मस्जिद के नाम पर करते हैं, थोड़ा दान और ध्यान हॉस्पिटल बनाने में भी लगाएं.