कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर के लोग ‘वर्क फ़्रॉम होम’ करने को मजबूर हैं. कुछ लोगों के लिये घर से काम करना मज़ा हो सकता है, तो कुछ के लिये सज़ा. मज़ा का तो पता नहीं, लेकिन हां दिनभर एक जगह बैठे रहना बड़ा ही तकलीफ़दायक होता है. इन तकलीफ़ों से बचने के लिये तीन दोस्तों ने मिल कर जुगाड़ू प्लान बनाया और ‘वर्क फ़्रॉम होम’ को ‘वर्क फ़्रॉम साइकिल’ बना डाला.

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बताया जा रहा है, ऑल्विन जोसेफ़, बकेन जॉर्ज और रतीश भालेराव ने 3 महीने के अंदर मुंबई से कन्याकुमारी का सफ़र तय कर डाला. वो भी साइकिल से. ‘वर्क फ़्रॉम साइकिल’ करते हुए तीनों ने साइकिल से 1,687 किमी का सफ़र तय किया. इस दौरान ऑफ़िस का काम करने के लिये तीनों किसी ढाबे या फिर लॉज में बैठ जाते थे.

कैसे आया एडवेंचर करते हुए काम करने का आईडिया 
तीन दोस्तों में पहली दफ़ा ये आईडिया 31 वर्षीय जॉर्ज के दिमाग़ में आया था. जॉर्ज इससे पहले भी दो बार साइकिल से लंबी यात्रा पर निकल चुके थे. वहीं जब देशभर में लॉकडाउन की घोषणा हुई, तो वो घर में कैद होकर परेशान नहीं होना चाहते थे. इसलिये उन्होंने ‘वर्क फ़्रॉम साइकिल’ का प्लान बनाया और फिर इसे अपने दोनों क़रीबी दोस्तों से साझा किया. बस फिर क्या तीनों नवंबर में साइकिल से यात्रा पर निकले और दिसबंर में इसे ख़त्म भी कर लिया.  

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हांलाकि, ऐसा बिल्कुल नहीं है कि तीनों का सफ़र बहुत आसान रहा. गैजेट्स साथ होने की वजह से सबने थोड़ी दिक्कतें भी झेली हैं. गैजेट्स लेकर साइकिल से सफ़र करना. ऊपर से कभी तेज़ धूप और बारिश. इन सारी चुनौतियों को स्वीकारते हुए दोस्तों ने मिल कर मेक शिफ़्ट वर्क स्टेशन बना कर मज़े से काम किया. 

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जोसेफ़ का कहना है कि वो लोग रोज़ सुबह लगभग 4 बजे उठ जाते थे और लगभग 11 बजे डेस्टिशन पर पहुंच कर काम शुरू करने की कोशिश करते थे. तीनों रोज़ लगभग 80 किमी की दूरी पूरी कर लेते थे. यात्रा के दौरान तीनों क़रीब 26 दिन तक होटल में ठहरे और प्रति व्यक्ति कुछ 25 हज़ार रुपये का ख़र्च आया. एक महीने की यात्रा के दौरान वो पुणे, सतारा, कोल्हापुर, बेलगाम, हुबली, दावणगेरे, बेंगलुरु, सेलम, माधुरी और तिरुनेलवेली में सुरम्य मार्गों के माध्यम से अपने स्थान तक पहुंचने में सफ़ल रहे.  

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इस यात्रा ने इन दोस्तों को थकान ज़रूर दी, लेकिन हां मानसिक सुकून भी दिया. आप बताओ आपको इनका आईडिया कैसा लगा?