कोरोना वायरस का पहला मामला दर्ज़ होने के 6 महीने बाद भारत रूस को पीछे छोड़कर संक्रमितों के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे अधिक कोरोना प्रभावित देश बन गया है.
पहले कई चरणों में लागू होने वाले लॉकडाउन 1.0. लॉकडाउन 2.0. लॉकडाउन 3.0. लॉकडाउन 4.0 और फ़िर अनलॉक 1.0 अनलॉक 2.0 के बीच मज़दूरों का पलायन, हर सेक्टर में जाती नौकरियां, बंदी के कगार पर खड़े बिज़नेस जैसी विभीषिका भी लेकर आई है ये महामारी.
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— Gal Jammu Di (@GalJammuDi) May 14, 2020
A woman carrying her kid who is sleeping on a suitcase while on a long journey from Punjab to UP. @capt_amarinder @CMOPb @myogiadityanath #MigrantLabourers #CorornavirusLockdown #COVID pic.twitter.com/Ub61u9W7cO
कोरोनाकाल में मीडिया में कुछ समस्याओं को स्थान मिला तो कुछ को उतनी तवज्जो नहीं मिली जितनी मिलनी चाहिए थी. महामारी की वजह से ये मुद्दे भले ही कम चर्चाओं में रहे, मगर ये कोरोना से कम महत्वपूर्ण नहीं हैं.
आइये डालते हैं एक नज़र ऐसे ही कुछ चुनिंदा मुद्दों पर:
1. CAA – NRC
CAA और NRC के मुद्दे पर देश-भर में कई महीनों तक ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन हुए. विरोध में लाखों लोगों ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक अपनी आवाज़ बुलंद की. कहीं सैंकड़ों किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनी तो कई जगह महीनों तक धरना प्रदर्शन होते रहे. देश के हर कोने से इसके विरोध में आवाजें उठी. विरोध प्रदर्शनों के दौरान सैंकड़ों लोगों को गिरफ़्तार किया गया. कुछ की इन प्रदर्शनों के दौरान मौत भी हुई.
कोरोना के आते ही सभी प्रदर्शनों को बंद करना पड़ा पर मुद्दा जस-का-तस बना रहा. सरकार ने इस विवादित कानून पर अपने क़दम पीछे नही खींचे. विवादित CAA को लेकर सरकार अब भी अपने रुख़ पर अड़ी है.
2. Delhi Riots
फ़रवरी में दिल्ली के विधान सभा चुनाव संपन्न ही हुए थे और आम आदमी पार्टी की सरकार ने सत्ता संभाली ही थी कि दिल्ली में दंगे भड़क उठे.
मौजपुर-बाबरपुर के पास CAA विरोधी और समर्थकों के बीच हुई हिंसा ने जल्द ही दंगों की शक्ल ले ली. 50 से ज़्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया, लोगों के घरों, दुकानों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया. करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ. लोग सड़कों पर आ गए.
दिल्ली पुलिस लॉकडाउन के दौरान इन दंगों की जांच करती रही. मगर ज़्यादातर CAA-NRC का विरोध करने वाले स्टूडेंट्स की गिरफ़्तारियां और भड़काऊ भाषण देने वालों पर कोई करवाई न होने के चलते ये जांच सवालों के घेरे में है.
इस मामले में गिरफ़्तार किये गए कई स्टूडेंट एक्टिविस्ट्स पर UAPA क़ानून की धाराएं लगाई गई हैं जिसके तहत इनको आतंकवादी करार देकर कई महीनों तक जेल में रखा जा सकता है, वो भी बिना किसी सुबूत के.
CAA विरोध प्रदर्शन के दौरान शाहीन बाग में लंगर खिलाने वाले डी एस बिंद्रा को दिल्ली पुलिस के तरफ़ से दायर चार्जशीट में दंगा भड़काने के लिए नामित किया गया. इसके अलावा दंगों के दौरान हताहतों की जान बचाने वाले डॉक्टर अनवर का नाम भी चार्जशीट में आया. इन सब से पुलिस पर दंगों की एकतरफ़ा जांच करने की आरोप लग रहें हैं.
3. Central Vista Redevelopment Project
राजधानी दिल्ली का इंडिया गेट, राजपथ, केंद्रीय सचिवालय का नार्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और आस-पास 3 KM का इलाका सेंट्रल विस्टा कहलाता है.
20 मार्च को एक नोटिफ़िकेशन जारी करके ये बताया गया कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत एक नया त्रिकोणीय संसद भवन, कॉमन केंद्रीय सचिवालय और 3 किलोमीटर लंबे राजपथ को रीडेवलप किया जाएगा. नए संसद भवन के निर्माण के अलावा नार्थ या साउथ ब्लॉक के पास एक नया प्रधानमंत्री आवास और उपराष्ट्रपति आवास भी बनाया जाएगा.
इस पूरे प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 20,000 करोड़ से 25,000 करोड़ है. देश जब कोरोना महामारी से जूझ रहा है और अर्थव्यवस्था बर्बादी के कगार पर ड़ी है तब ऐसे प्रोजेक्ट को हरी झंडी देने पर सवाल उठने लाज़िमी हैं. हालांकि, मीडिया में इस मुद्दे पर बहुत कम बात हुई
4. नेपाल के साथ सीमा विवाद
भारत ने उत्तराखंड के लिपुलेख इलाक़े में सीमा सड़क का उद्घाटन किया जिससे तिब्बत में स्थित मानसरोवर झील तक की यात्रा आसान हो सके. मगर नेपाल ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए एक नया राजनीतिक नक़्शा जारी किया जिसमें लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख इलाक़े को नेपाल का हिस्सा बताया गया.
नेपाल की कैबिनेट ने इसे अपना जायज़ दावा क़रार दिया, वहीं भारत ने इस पर आपत्ति दर्ज़ की.
सरकार को इस वक़्त कई मोर्चों पर सधे हुए क़दम उठाना बहुत ज़रूरी है और साथ ही सभी ज़रूरी मुद्दों पर ध्यान दिया जाना चाहिए.