भारत में हर साल हज़ारों मर्डर केस सामने आते हैं. इसमें से कुछ मामलों को पुलिस सुलझा लेती है, लेकिन कुछ सालों साल कोर्ट की धूल खाती फ़ाइलों में क़ैद हो जाती हैं. भारत में आज भी ऐसे कई मामले हैं, जिनमें आरोपी का पता तक नहीं चल पाया है. हम उस देश में रहते हैं जहां छोटी-छोटी लड़ाइयों पर भी लोग ‘I’ll See You in Court’ कहना नहीं भूलते. लेकिन पुलिस जांच के बाद जब मामला कोर्ट में पहुंचता है तो लोगों को सालों तक फ़ैसले का इंतज़ार करना पड़ता है. हालांकि, आज भी हमारे देश में लोगों को न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है. 

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आज हम आपको भारत के 7 ऐसे ही चर्चित मर्डर मिस्ट्री के बारे में बताने जा रहे हैं जिन पर फ़ैसला आज तक नहीं आ पाया है-

1- आरुषि मर्डर मिस्ट्री

‘आरुषि मर्डर केस’ भारत का सबसे चर्चित मर्डर केस है. 16 मई, 2008 की रात नोएडा के रहने वाले डॉ. राजेश तलवार और डॉ. नूपुर तलवार की 14 साल की बेटी आरुषि और 45 वर्षीय घरेलु नौकर हेमराज की किसी ने धारदार हथियार से हत्या कर दी थी. इस मामले में कई लोगों को शक के आरोप में गिरफ़्तार किया गया, आरुषि के माता पिता को जेल तक जाना पड़ा, लेकिन सबूतों के अभाव में उन्हें छोड़ दिया गया. सीबीआई आज तक आरोपी को खोज नहीं पाई है.

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2- प्रधुम्न ठाकुर मर्डर केस  

8 सितंबर 2017 को गुड़गांव के ‘रेयान इंटरनेशनल स्कूल’ के वॉशरूम में दूसरी कक्षा का छात्र प्रधुम्न ठाकुर मृत पाया गया था. प्रधुम्न ठाकुर के साथ यौन-हमले के शक में पुलिस द्वारा स्कूल बस कंडक्टर को गिरफ़्तार किया गया था, लेकिन उस पर आरोप सिद्ध नहीं हो पाए थे. आख़िर प्रधुम्न को किसने मारा ये आज भी एक सस्पेंस का विषय है.

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3- सुनंदा पुष्कर केस

17 जनवरी, 2014 को प्रसिद्ध व्यवसायी और कांग्रेस नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर दिल्ली के 5 स्टार होटल ‘लीला पैलेस’ के कमरे में मृत पाई पाई गई थीं. रिपोर्टों से पता चलता है कि उनके पति शशि ने उनके शरीर की खोज की और मान लिया कि वह सो रही हैं। जब पुष्कर नहीं जागे तो उन्होंने पुलिस को मौत की सूचना दी.

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4- लाल बहादुर शास्त्री मर्डर मिस्ट्री 

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का 11 जनवरी, 1966 को हार्ट अटैक के चलते रूस के ‘ताशकंद’ में निधन हो गया था. लेकिन उनकी मौत की थ्योरी पर आज भी सवाल उठाए जाते हैं. रूस में ‘ताशकंद समझौते’ पर हस्ताक्षर करने के एक दिन बाद शास्त्री जी की मौत हो गयी थी. आज भी उनकी मौत को लेकर एक सस्पेंस है.

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5- अमर सिंह चमकीला 

अमर सिंह चमकीला पंजाब के मशहूर लोक गायक हुआ करते थे. 8 मार्च, 1988 को अमर सिंह अपने बैंड के साथ जब पंजाब के मेहसमपुर गांव में एक कार्यक्रम में परफॉर्मेंस देकर लौट रहे थे तो कुछ अज्ञात युवकों ने उन पर फ़ायरिंग कर दी. इस हमले में अमर सिंह, उनकी पत्नी और बैंड के दो सदस्यों की मौत हो गयी थी. अमर सिंह को किसने मारा पुलिस आज तक इस मामले को सुलझा नहीं पाई है. 

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6- चंद्रशेखर प्रसाद 

एक्टिविस्ट और छात्र नेता चंद्रशेखर प्रसाद की 31 मार्च, 1997 को बिहार के सीवान में एक रैली के दौरान शार्पशूटरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस मामले में कथित तौर पर ‘राष्ट्रीय जनता दल’ के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन पर आरोप लगे थे, लेकिन पुलिस इस मामले में किसी को भी आरोपी नहीं बना सकी थी. चंद्रशेखर दो बार JNU छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे.

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7- राजीव दीक्षित 

सामाजिक कार्यकर्ता राजीव दीक्षित की 43 वर्ष की आयु में 30 नवंबर, 2010 को निधन हो गया. इस दौरान राजीव दीक्षित की मौत पर भी कई सवाल उठे थे. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनकी मौत कार्डिएक अरेस्ट या स्लो पॉइजनिंग से हुई इस पर भी सवाल बने हुए हैं. राजीव दीक्षित ‘स्वदेशी आंदोलन’ और ‘आज़ादी बचाओ आंदोलन’ के नेता थे. राजीव ने देश के कई राजनेताओं और नौकरशाहों के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल रखा था.

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