भारत पिछले 10 महीनों से कोरोना महामारी से जूझ रहा है. भारत में अब तक 1 करोड़ 58 लाख से अधिक लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. इस दौरान 1, 52,593 लोगों की मौत भी हो चुकी है. इस बीच 16 जनवरी से देश में कोरोना वैक्सीनेशन का काम भी शुरू हो चुका है.

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साल 2020 में सबसे बड़ी लड़ाई अस्पतालों में लड़ी गई थी, इस दौरान हज़ारों फ्रंटलाइन वर्कर्स ने ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवा दी थी. इनमें डॉक्टर्स, नर्स, अन्य स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिस के जवान शामिल थे. इस दौरान हैरानी की बात ये रही कि, भारत में अब तक कितने डॉक्टरों ने जान गंवाई है केंद्र सरकार के पास इसकी जानकारी तक नहीं है.    

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इंडिया टुडे के एक रिपोर्ट के मुताबिक़, साल 2020 में कोरोना संक्रमण के चलते क़रीब 734 डॉक्टरों की मौत हो गई थी. ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले डॉक्टरों की संख्या 2020 में बॉर्डर पर शहीद हुए सशस्त्र बलों के सैनिकों की संख्या से 7 गुना अधिक है. साल 2020 में बॉर्डर पर सुरक्षा बलों के 106 जवान शहीद हुये थे.

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कोरोना का शुरुआती दौर डॉक्टर्स, नर्स, स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिस के जवानों के लिए बेहद ख़तरनाक साबित हुआ. इस दौरान देश के हज़ारों फ्रंटलाइन वर्कर्स ने बिना PPT किट के ही केवल मास्क के सहारे अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों की सेवा की थी. ऐसे में सैकड़ों स्वास्थ्य कर्मी कोरोना संक्रमित भी हो गए थे. कुछ इससे लड़ने में सफ़ल रहे तो कुछ इस जंग में शहीद हो गए.

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देश के इन्हीं होनहार डॉक्टरों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की वजह से ही हम आज कोरोना महामारी से लड़ पाए हैं. जनसंख्या में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश होने के बावजूद भारत की हालात दुनिया के अन्य देशों के मुक़ाबले बेहतर है.