A Man Cycled From India to Europe On a Bicycle For Love: प्यार के लिए दूरी मायने नहीं रखती, ये पीके महानंदिया ने साबित कर दिया. इस कपल की मुलाक़ात सबसे पहले दिल्ली के कनॉट प्लेस में हुई थी. पहली नज़र में प्यार में पड़ गए थे पीके महानंदिया स्वीडन की वॉन शेडविन को देखकर. उसके बाद उन्होंने भारत से यूरोप का सफ़र साइकिल पर शुरू किया और पहुंच गए यूरोप में अपनी पत्नी से मिलने. इस कहानी में बहुत से दिलचस्प मोड़ आए, जिसे हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से बताएंगे (Indian Man Cycled from India to Sweden)-

आइए बताते हैं आपको भारतीय पीके महानंदिया की प्रेम कहानी (Indian Man Cycled from India to Sweden)-

1975 में दिल्ली में हुई पहली बार ‘मुलाक़ात’

दिल्ली में सर्दी के शामें बहुत खूबसूरत होती है. बस उसी वक़्त वॉन महानंदिया से मिली थीं. महानंदिया पेशे से एक आर्टिस्ट थे, जिनकी दिल्ली के आस-पास की जगहों में खूब रुतबा था. वो वहां पर 10 मिनट में पोर्ट्रेट बनाने के लिए बहुत पॉपुलर थे. इस बात से हैरान होकर वॉन महानंदिया के पास अपनी पेंटिंग बनवाने पहुंच गईं. लेकिन वॉन उनके बनाई हुए पेंटिंग से नाख़ुश थीं और उन्होंने अगले दिन फिर से वहां जाने के निर्णय लिया, लेकिन एक बार फिर उनके हाथ निराशा ही आई.

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आर्टिस्ट को अपनी मां की बात याद आई

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महानंदिया का काम बहुत ही ज़्यादा अच्छा था, बहुत से न्यूज़पेपर में भी उनकी तस्वीरें छपी थी. महानंदिया जब वॉन की तस्वीर बना रहे थे, तो उन्हें अपनी मां की बात याद आई. जहां उन्होंने उनका भविष्य देखकर बोला कि “तुम किसी दिन एक महिला से शादी करोगे “जिसकी राशि वृषभ होगी, वो दूर देश से आएगी, वह संगीतमय होगी और एक जंगल की मालकिन होगी”.

तो जब महानंदिया वॉन से मिला तो उन्होंने उससे पूछा कि “क्या आप जंगल की मालकिन हो ?” जिसके जवाब में वॉन ने हां कहा और भाग्यवश उस लड़की की राशि भी वृषभ थी और वो म्यूज़िकल बैकग्राउंड से भी आती थी. इसके बाद महानंदिया ने वॉन से चाय के लिए पूछा और वॉन ने हां कर दिया. क्योंकि वो उससे पूछना चाहती थी कि उसने उससे जंगल वाला सवाल क्यों पूछा.

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थोड़ी बातों के बाद वॉन महानंदिया के साथ ओडिशा जाने के लिए तैयार हो गई. दोनों को बाद में एक दूसरे से प्यार हो गया. महानंदिया ने बताया, “जब वो पहली बार मेरे पिता से मिलीं तो उन्होंने साड़ी पहनी थी. मैं अभी भी नहीं जानता कि उसने वो सब कैसे मैनेज किया लेकिन, मेरे पिता और परिवार के आशीर्वाद से हमने आदिवासी परंपरा के अनुसार शादी की.” लेकिन कुछ समय बाद वॉन को यूरोप वापस जाना पड़ा, लेकिन महानदियां ने उससे वादा किया कि वो उससे मिलने ज़रूर आएगा.

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उस दौरान फ़ोन नहीं हुआ करते थे, इसलिए दोनों एक दूसरे से चिट्ठी के माध्यम से बता करते थे. बतौर आर्टिस्ट महानंदिया के पास प्लेन टिकट ख़रीदने के पैसे नहीं थे. इसीलिए उसने सबकुछ बेचकर एक साइकिल खरीद ली और वॉन से मिलने का निर्णय लिया.

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उन्होंने सफ़र 22 January 1977 को शुरू किया और रोज़ 70 किलोमीटर साइकिल चलाते थे. कभी-कभी तो जब उनके पास खाने के पैसे नहीं हुआ करते थे, तो वो लोगों का पोर्ट्रेट बना दिया करते थे ताकि कुछ पैसे मिल सके.

क्या करते थे, जब पैर दर्द होता था?

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महानंदिया ने बताया, “हां, बहुत बार मेरे पैरों में दर्द होता था. लेकिन शार्लेट से मिलने और नई जगहों को देखने के उत्साह ने मुझे थकने नहीं दिया.” वो 28 मई को इस्तांबुल और वियना होते हुए यूरोप पहुंचे और फ़िर ट्रेन से गोथनबर्ग की यात्रा की.

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आज 64 वर्षीय महानंदिया अपनी बीवी और बच्चों के साथ स्वीडन में रहते हैं और वहीं आर्टिस्ट का काम करते हैं.

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वो कहते हैं, “मुझे समझ नहीं आता क्यों लोगों को लगता है कि यूरोप तक साइकिल चलाना एक बड़ी बात थी. मैंने वही किया जो मुझे करना था, मेरे पास पैसे नहीं थे लेकिन मुझे उससे मिलना था. मैं प्यार के लिए साइकिल चला रहा था, लेकिन साइकिल चलाना मुझे कभी पसंद नहीं आया.”