श्रीकृष्ण को हम कई नाम से जानते हैं, उनमें से एक है, ‘माखनचोर’. कृष्ण गांव भर के घरों से माखन चुराकर खाते थे और अपने दोस्तों को भी खिलाते थे.


गौ, दूध, घी, मक्खन से गहरा नाता है उनका. महाराष्ट्र के हिंगोली ज़िले का एक गांव ऐसा है जहां के रहने वाले दूध धारी पशु तो पालते हैं पर दूध नहीं बेचते. ये गांववाले ज़रूरतमंदों को बिना किसी मूल्य के दूध और दूध से बनने वाले अन्य पदार्थ दे देते हैं.  

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रिपोर्ट्स के मुताबिक़, महाराष्ट्र के कई किसान दूध की क़ीमत बढ़ाने की मांग पर अड़े हैं वहीं येलागांव ग्वाली के हर घर में दूध देने वाले पशु हैं पर कोई भी दूध नहीं बेचता. 


इस गांव के राजाभाऊ ने बात-चीत में बताया, 
‘येलागांव ग्वाली का मतलब ही है ग्वालों का गांव. हम मानते हैं कि हम श्री कृष्ण के वंशज हैं और इसलिए हम दूध नहीं बेचते.’ 

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दूध न बेचने की ये प्रथा कई पीढ़ियों से चली आ रही है. चाहे वो कोई भी धर्म का पालन करते हों पर कोई भी गांववाला दूध नहीं बेचता. इस गांव में कृष्ण जन्माष्टमी भी बड़े धूम-धाम से मनाई जाती है.


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